शहर में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे जुगाड़, इन पर Ban जरूरी Meerut News
सड़कों पर दौड़ रहे जुगाड़ वाहन दुर्घटनाओं का सबब तो बने ही हैं साथ ही ट्रैफिक नियमों और वाहन अधिनियम की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं।
By Edited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 07:00 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। सड़कों पर दौड़ रहे जुगाड़ वाहन दुर्घटनाओं का सबब तो बने ही हैं साथ ही ट्रैफिक नियमों और वाहन अधिनियम की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। नए यातायात नियम लागू होने के बाद भी यातायात पुलिस इन पर कार्रवाई नहीं कर रही है। शहर के मुख्य मार्गो पर चलने वाले इन वाहनों पर कार्रवाई की जरूरत न तो ट्रैफिक विभाग समझता है न ही परिवहन विभाग। दिल्ली रोड, मेट्रो प्लाजा, बुढ़ाना गेट, रेलवे रोड, घंटाघर जैसी व्यस्त जगहों पर लंबे-लंबे पाइप, सरिया, लोहे के स्ट्रक्चर आदि ले जाते जुगाड़ खुले आम देखे जा सकते हैं। आसपास चलने चलने वाले वाहन सवार खुद ही इनसे बच कर चलते हैं। इनके चलते भीषण जाम लग जाता है।
यह जुगाड़ दिल्ली गेट, सोती गंज, गोला कुआं आदि स्थानों पर तैयार किए जाते हैं।
तैयार होने की लागत 12 से 25 हजार रुपये
जुगाड़ माल ढुलाई के काम में आने वाले जुगाड़ जान जोखिम में डालने का सबब तो बने ही हैं साथ ही वातावरण में जहर घोल रहे हैं। इनमें 15 से 20 साल पुराने खटारा स्कूटरों, मोटर साइकिलों के इंजन लगाए जाते हैं। इनके कई तरह माडल है। एक जुगाड़ एक लीटर ईधन में 25 से 30 किलोमीटर चलता है। सामान्य रिक्शे में पुराने स्कूटर का इंजन फिट कर बनने वाला जुगाड़ 12 हजार रुपये में तैयार हो जाता है। इसमें चार से पांच कुंतल भार ढोया जा सकता है। इसे पैरों से भी चलाया जा सकता है। आगे रिक्शे का और पीछे मोटर साइकिल के टायर वाला जुगाड़ 18 हजार में बनता है। इसी तरह मोटर साइकिल के टायर से बना जुगाड़ 25 हजार में बनता है। इसमें 10 से 12 कुंतल माल लादा जा सकता है। मौजूदा समय में आउट आफ डेट हो चुके टेंपो को माल ढोने में प्रयोग किया जाता है। इन्हें सामने से काट दिया जाता है, छत और यात्रियों के बैठने की जगह को हटा कर माल रखने के लिए ठेले जैसा बना दी जाती है। ईट, बिल्डिंग मैटीरियल ढोने में इनका जमकर प्रयोग हो रहा है।
किसी भी वाहन श्रेणी में नहीं आता जुगाड़
बुढ़ाना गेट, खैरनगर, नवीन मंडी स्थित फर्नीचर, हार्ड वेयर, खाद्यान्न, सब्जियों के दुकानदार तो बकायदा इन्हीं जुगाड़ों से माल भेजते हैं। इन जुगाड़ चलाने वालों के नंबर सभी दुकानदारों के पास रहते हैं। दुर्घटना होने पर मुआवजे का हक नहीं मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार जुगाड़ किसी वाहन की श्रेणी में नहीं आते हैं। आम वाहनों के लिए रोड टैक्स, इंश्योरेंस फिटनेस सहित तमाम तरीके टैक्स देय होते हैं इन वाहनों के चालक कोई टैक्स नहंी देते। तीन माह पहले दिल्ली की अदालत ने ऐसे वाहनों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था। मामले में एक जुगाड़ ने एक मोटर साइकिल चालक का पैर कुचल दिया था। इनसे होने वाले हादसे में पीड़ित किसी तरह के मुआवजे का भी अधिकारी नहीं होता है। उधर, एआरटीओ दिनेश कुमार ने कहा कि हाइकोर्ट के आदेश के क्रम में इन जुगाड़ों को जब्त कर डिस्मेंटल करने का प्रावधान है। लेकिन इसके लिए पर्याप्त जगह न होने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती।
यह जुगाड़ दिल्ली गेट, सोती गंज, गोला कुआं आदि स्थानों पर तैयार किए जाते हैं।
तैयार होने की लागत 12 से 25 हजार रुपये
जुगाड़ माल ढुलाई के काम में आने वाले जुगाड़ जान जोखिम में डालने का सबब तो बने ही हैं साथ ही वातावरण में जहर घोल रहे हैं। इनमें 15 से 20 साल पुराने खटारा स्कूटरों, मोटर साइकिलों के इंजन लगाए जाते हैं। इनके कई तरह माडल है। एक जुगाड़ एक लीटर ईधन में 25 से 30 किलोमीटर चलता है। सामान्य रिक्शे में पुराने स्कूटर का इंजन फिट कर बनने वाला जुगाड़ 12 हजार रुपये में तैयार हो जाता है। इसमें चार से पांच कुंतल भार ढोया जा सकता है। इसे पैरों से भी चलाया जा सकता है। आगे रिक्शे का और पीछे मोटर साइकिल के टायर वाला जुगाड़ 18 हजार में बनता है। इसी तरह मोटर साइकिल के टायर से बना जुगाड़ 25 हजार में बनता है। इसमें 10 से 12 कुंतल माल लादा जा सकता है। मौजूदा समय में आउट आफ डेट हो चुके टेंपो को माल ढोने में प्रयोग किया जाता है। इन्हें सामने से काट दिया जाता है, छत और यात्रियों के बैठने की जगह को हटा कर माल रखने के लिए ठेले जैसा बना दी जाती है। ईट, बिल्डिंग मैटीरियल ढोने में इनका जमकर प्रयोग हो रहा है।
किसी भी वाहन श्रेणी में नहीं आता जुगाड़
बुढ़ाना गेट, खैरनगर, नवीन मंडी स्थित फर्नीचर, हार्ड वेयर, खाद्यान्न, सब्जियों के दुकानदार तो बकायदा इन्हीं जुगाड़ों से माल भेजते हैं। इन जुगाड़ चलाने वालों के नंबर सभी दुकानदारों के पास रहते हैं। दुर्घटना होने पर मुआवजे का हक नहीं मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार जुगाड़ किसी वाहन की श्रेणी में नहीं आते हैं। आम वाहनों के लिए रोड टैक्स, इंश्योरेंस फिटनेस सहित तमाम तरीके टैक्स देय होते हैं इन वाहनों के चालक कोई टैक्स नहंी देते। तीन माह पहले दिल्ली की अदालत ने ऐसे वाहनों को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था। मामले में एक जुगाड़ ने एक मोटर साइकिल चालक का पैर कुचल दिया था। इनसे होने वाले हादसे में पीड़ित किसी तरह के मुआवजे का भी अधिकारी नहीं होता है। उधर, एआरटीओ दिनेश कुमार ने कहा कि हाइकोर्ट के आदेश के क्रम में इन जुगाड़ों को जब्त कर डिस्मेंटल करने का प्रावधान है। लेकिन इसके लिए पर्याप्त जगह न होने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती।
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