फोटो- बुनकरों के प्लॉट में तालाब, कैसे लगे उद्योग
सरकार उद्योग को बढ़ाने के लिए इन्वेस्टर्स मीट से लेकर तमाम जतन भले ही कर ले लेकिन सरकारी महकमों की कार्यशैली उन्हें हतोत्साहित करने वाली है। जिस बुनकर उद्योग को सहूलियत की दरकार थी उसे एमडीए व प्रशासन की अनदेखी ही नसीब हुई। पांच साल पहले 58 बुनकरों को प्लॉट आवंटित हुए लेकिन कब्जा नहीं दिया गया
मेरठ, जेएनएन : सरकार उद्योग को बढ़ाने के लिए इन्वेस्टर्स मीट से लेकर तमाम जतन भले ही कर ले लेकिन सरकारी महकमों की कार्यशैली उन्हें हतोत्साहित करने वाली है। जिस बुनकर उद्योग को सहूलियत की दरकार थी उसे एमडीए व प्रशासन की अनदेखी ही नसीब हुई। पांच साल पहले 58 बुनकरों को प्लॉट आवंटित हुए लेकिन कब्जा नहीं दिया गया। अब उन प्लॉटों पर इतनी मिट्टी खोदी जा चुकी है कि वे तालाब बन गए हैं। उद्यमी कभी डीएम तो कभी एमडीए में दौड़ लगाते रहे।
एमडीए ने बुनकर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए लोहिया नगर एफ पॉकेट में स्थान आरक्षित किया। यहीं पर पास में ही कैंची उद्योग के लिए भी प्लॉट रखे गए। बुनकर उद्यमियों को फरवरी 2014 में प्लॉट आवंटित हुए। करीब 58 प्लॉट हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अब तक उस पर कब्जा नहीं मिल सका है। मेरठ खद्दर एवं टेक्सटाइल्स वीवर्स क्लस्टर विकास समिति के अध्यक्ष मतीन अहमद का कहना है कि शर्त के मुताबिक उद्यमियों ने 25 फीसद धनराशि भी उसी वर्ष जमा कर दी थी। बाकी राशि किश्त के आधार पर किया जा रहा है। कुछ साल पहले कैंची उद्यमियों के ब्याज माफ किए गए थे, उसी तर्ज पर बुनकर उद्यमी भी ब्याज माफी की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका न ब्याज माफ हो रहा है न ही प्लाट दिए जा रहे हैं। जहां उनके प्लॉट आवंटित हुए थे उस पर लोगों ने मिट्टी खोदकर तालाब बना दिया है। साइट प्लान भी नहीं बना है जिससे किसी को पता चल सके कि किसका प्लॉट कहां है।
इन्होंने कहा..
बुनकरों के ब्याज माफी का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा गया था, जो मंजूर नहीं हुआ। बुनकर उद्यमी मिले हैं, उनका समाधान किया जाएगा। जहां गड्ढे हैं उसका विकल्प तलाशा जाएगा।
-राजेश पांडेय, वीसी एमडीए