कांवड़ यात्रा तैयारियों में उत्तराखंड चुस्त, उत्तर प्रदेश सुस्त
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की व्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर है। कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तराखंड में व्यवस्था भी सुचारु रहती है जबकि उप्र में सात दिनों की कैद झेलनी पड़ती है। इस बार भी कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तराखंड में हरिद्वार की ओर एनएन-58 पर वाहन दौड़ेंगे और दिनचर्या सामान्य रहेगी।
मेरठ, जेएनएन : कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की व्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर है। कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तराखंड में व्यवस्था भी सुचारु रहती है, जबकि उप्र में सात दिनों की कैद झेलनी पड़ती है। इस बार भी कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तराखंड में हरिद्वार की ओर एनएन-58 पर वाहन दौड़ेंगे और दिनचर्या सामान्य रहेगी। उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से आठ दिन वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर और मेरठ में जनजीवन अस्त व्यस्त होगा। अधिकांश लोग घरों में कैद रहेंगे और कारोबार ठप रहेगा। हालांकि इस बार उप्र शासन ने भी शिवभक्तों को कांवड़ मार्ग से गुजारने और वहां पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया है। अब देखना यह है कि यह दावा कितना कारगर होता है। यह है उत्तराखंड की व्यवस्था
उत्तराखंड में सरकार ने गंगनहर के 21 किमी अपने क्षेत्र में ना केवल पर्याप्त पथ प्रकाश व्यवस्था कर रखी है, बल्कि पेयजल व्यवस्था और मार्ग भी शिवभक्तों के अनुकूल है। इसके अलावा हर की पैड़ी से जल लेकर चलने वाले शिवभक्तों लिए कांवड़ मार्ग पर पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम कर रखे हैं। यही कारण है कि उत्तराखंड में शिवभक्त इसी मार्ग से गुजरते हैं। इससे एनएच आम लोगों के वाहनों के लिए खाली रहेगा।
--------------
यह है उत्तर प्रदेश की व्यवस्था
27 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल में वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपरी गंग नहर पर मुरादनगर से मेरठ, मुजफ्फरनगर होते हुए मंगलौर तक 121 किमी लंबे चौधरी चरण सिंह कांवड़ नहर पटरी का निर्माण कराया गया था। 2006 में सपा सरकार की तत्कालीन मंत्री अनुराधा चौधरी ने कांवड़ मार्ग को साढे़ तीन मीटर चौड़ा कराकर डामर की सड़क बनवाई थी। अभी तक इस मार्ग पर तीन सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक सिंचाई विभाग नहर के किनारे लगी सुरक्षा दीवार सही नहीं कराई जा सकी है। पुलिस ने भी शिवभक्तों के लिए इस मार्ग को सुरक्षित नहीं माना। इस बार योगी सरकार ने भी शिवभक्तों के लिए कांवड़ मार्ग को दुरुस्त कराया है। पेयजल और पथ प्रकाश व्यवस्था की जा रही है। हालांकि एनएच-58 को फिर भी 24 जुलाई से पूर्णत: बंद करने की तैयारियां है। वेस्ट यूपी जिलों, दिल्ली, देहरादून आदि राज्यों के वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से ही गुजरना होगा।
------------
फोटो 1,2 :
बहुत कठिन है डगर शिवभक्तों की
जासं, मवाना : मुजफ्फनगर से वाया बहसूमा, मवाना से किठौर जाने वाली मध्य गंग नहर पटरी की हालत खराब है। सड़क कच्ची है और जगह-जगह रोड़ी उखड़ी हुई हैं। बरसात में मार्ग पर कीचड़ हो जाती है। इससे शिवभक्तों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यहां से हर साल हजारों कावंड़िए गुजरते हैं। मुजफ्फरनगर से बटावली बहसूमा होते हुए हस्तिनापुर रोड से गंग नहर पटरी कूड़ी कमालपुर होकर परीक्षितगढ़ और किठौर निकलते है। यहां से बुलंदशहर, गढ़, मुरादाबाद, आगरा, हाथरस, हापुड़ आदि को रवाना हो जाते हैं। विहिप के जिला महामंत्री सौरभ शर्मा का आरोप है कि अभी तक कांवड़ मार्ग को दुरुस्त नहीं कराया गया है। यदि जल्द ही मार्ग दुरूस्त नहीं किया तो विहिप बजरंग दल आंदोलन के लिए विवश होगा। एसडीएम मवाना अंकुर श्रीवास्तव ने कहा कि कांवड़ मार्ग की मरम्मत कार्य के लिए सिचाई विभाग को निर्देश दिए हैं।
फोटो परिचय
मावा 1 व 2 : मवाना में बदहाल मध्य गंग नहर पटरी कांवड़ मार्ग
--------------
फोटो 1 से 4 :
आसान नहीं है जौली राइट माइनर की राह
जासं, सरधना : जौली माइनर कांवड़ पटरी का नवीनीकरण कराने और दो क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत के लिए शासन ने चार करोड़ रुपये जारी किए थे। फरवरी के तीसरे सप्ताह में काम का टेंडर हुआ। अभी केवल कालंद से पाली गांव तक मार्ग पर कारपेटिग कर दी गई है। पाली से रार्धना नावला कोठी तक अधिकांश मार्ग पर पत्थर पड़े हैं। ठेकेदार ने पटरी निर्माण में रजवाहे के किनारे से जेसीबी से मिट्टी खोदाई कराकर डाली है। इससे जगह जगह गहरे गड्ढे हो गए है। पुरामहादेव जाने वाले शिवभक्त नावला कोठी से मेरठ की सीमा में मुजाहिदपुर भूपखेड़ी से रार्धना, पाली से कांलद होते हुए धनवाली तक जाते है। बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां से सरुरपुर पहुंच कर सलावा राइट माइनर की पटरी से होते हुए कल्याणपुर से पुरामहादेव जाते है।
----------
इन्होंने कहा..
पाली से कालंद तक कारपेटिंग करा दी गई है। टूटी सड़क की मरम्मत कराई गई है। पत्थरों पर डस्ट डलवाकर पानी का छिड़काव कराया गया है।
-आशुतोष सारस्वत, एक्सईएन, सिचाई विभाग फोटो परिचय..एसआरडी 2 से 6 :
---- एमआरटी 510
शहर के कट बंद करने को बेरिकेडिंग
जासं, मेरठ : कांवड़ यात्रा के दौरान शहर में सड़कों के कट बंद करने की जिम्मेदारी एमडीए को दी गई है। ये कट बेरिकेडिंग करके बंद किए जा रहे हैं। कांवड़ यात्रा समाप्त होते बेकेरिकेडिंग हटा दी जाएगी और अन्य दिनों की तरह वाहन चालक फिर से उन कटों का उपयोग आने-जाने में कर सकेंगे। दिल्ली रोड, हापुड़ समेत समेत विभिन्न मार्गो पर करीब 22 कट बंद किए जाने हैं। एमडीए के चीफ इंजीनियर दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि अवस्थापना निधि से यह कार्य कराया जा रहा है। पिछले वर्ष भी एमडीए ने ही बेरिकेडिंग कराई थी।