हमने तो बोर्ड लगा दिया है, हादसा हो तो खुद निपट लेना Meerut News
गंगनहर के जजर्र नानू नहर पुल के दोनों ओर बोर्ड लगाकर सिंचाई विभाग अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटा। यहीं से यात्री बसों समेत तमाम वाहन दौड़ रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। अगर नानू पुल से गुजरते समय आप किसी हादसे के शिकार हो जाते हैं तो इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं होगा, लिहाजा यहां से निकलते वक्त एहतियात बरतें। सिंचाई विभाग ने अपनी बला टालने के लिए बोर्ड लगा दिया है कि इस पुल पर वाहन प्रतिबंधित हैं। रही बात वैकल्पिक मार्ग बनाने, रूट डायवर्जन या पुलिस द्वारा एक-एक वाहन गुजारने की व्यवस्था का तो इसके लिए प्रशासन समेत संबंधित विभाग सो रहे हैं। 12 जुलाई को सिंचाई विभाग ने एक बोर्ड लगाया, जिस पर लिखा है- ‘चेतावनी : 160 वर्ष पुराना है यह पुल अपनी आयु पूर्ण कर चुका है, इस पर वाहनों का प्रवेश वर्जित है’। इसके बावजूद कार, बस समेत माल लदे बड़े ट्रक भी लगातार आ-जा रहे हैं। एक साथ कई-कई वाहन गुजर रहे हैं।
होना यह चाहिए था
प्रतिबंध का बोर्ड लगाने से पहले कोई दूसरा पुल बनाने की व्यवस्था की जाती अथवा आसपास किसी पुल से इसका डायवर्जन करते। अगर यह पुल हल्के वाहनों के लिए अभी मुफीद है और बड़े वाहन के लिए नहीं तो हाइट गेज लगाकर बड़े वाहन वैकल्पिक मार्ग से गुजारे जा सकते थे।
शुरुआत में क्यों नहीं लगाया बोर्ड
वाहन चालकों को नानू पुल पर आकर इस बोर्ड के बारे में पता चलता है तो वे वापस होने के बजाय जोखिम लेने को ज्यादा अच्छा विकल्प मानते हैं। यदि यह बोर्ड मेरठ में कंकरखेड़ा, सरधना और शामली में भी लगा दिया जाता तो शायद इस मार्ग से आने वाले वाहनों की संख्या कम हो जाती लेकिन सिंचाई विभाग ने नानू पुल पर बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली।
नानू के पुल के पास लोहे का अस्थायी पुल बनाने का प्रस्ताव
सिंचाई विभाग के एक्सईएन आशुतोष सारस्वत ने बताया कि लोहे का पुल बनाने के लिए शासन व प्रशासन को प्रस्ताव भेजा गया है। यह पुल महज 15 से 20 लाख रुपये में बन जाता है। दूसरा उपाय यह भी है कि जानी में खाली पड़े लोहे के पुल को नानू पुल के बराबर में शिफ्ट कर दिया जाए।
वाहन प्रतिबंधित करने से पहले ये उपाय थे जरूरी
- वैकल्पिक पुल पहले ही बना लेना चाहिए था।
- पुल पूरी तरह से बंद करने के लिए दोनों तरफ दीवार बनाई जाती।
- यदि पुल अभी कुछ दिन चल सकता है तो वाहनों को तेजी से आने से बचाने के लिए ब्रेकर बनाया जाता।
- बड़े ट्रकों को दूसरे पुलाेें से गुजारा जाता
- हल्के वाहन भी एक-एक कर निकाले जाते।
इन्होंने बताया
गत वर्ष 13 सितंबर को दैनिक जागरण ने खबर प्रकाशित कर सिंचाई विभाग को इस संबंध में चेताया था। अब कांवड़ यात्र शुरू होने वाली है तो विभाग को 170 वर्ष पुराना नानू पुल याद आया। इसकी मियाद खत्म हुए भी काफी समय बीत गया है। पुल बंद करने से पूर्व विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था कर भारी वाहनों का रूट डायवर्ट करना चाहिए। हल्के वाहनों को वैकल्पिक लोहे का पुल या पैंटून पुल बनाकर गुजारा जाए।
- सत्य प्रकाश माहेश्वरी, उप्र उद्योग व्यापार
सरकार ने अधिकारियों पर सख्ती की तो उन्होंने पुल बंद करने का सहारा लिया। सवाल उठाया कि क्या पहले से सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी। यदि हादसा होता तो इसका जिम्मेदार कौन होता। सबसे पहले पुल की मरम्मत हो या लोहे के पुल का निर्माण शुरू होना चाहिए। पुल बंद करने से सारा यातायात सरधना से होकर गुजरेगा, इससे नगर के गली मोहल्लों में जाम लगेगा। पुल से वाहनों की आवाजाही रोकना कोई हल नहीं है।
- धनपाल जैनी, व्यापार मंडल अध्यक्ष
नानू पुल के बराबर में एक फ्लाईओवर बनना चाहिए। फिलहाल पुल की मरम्मत कर छोटे वाहनों को गुजारा जा सकता है। फ्लाईओवर बनने से जाम की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। पुल से स्थानीय लोग ही गुजरेंगे, जबकि फ्लाईओवर से मेरठ- करनाल नेशनल हाईवे के वाहन।
- पंकज जैन, नगर अध्यक्ष संयुक्त व्यापार मंडल
पुल पर यातायात बंद करना है तो उसका वैकल्पिक इंतजाम भी होना चाहिए। मेरठ करनाल हाईवे का यातायात पुल बंद होने से सरधना के अंदर से निकाला जाएगा या भूनी चौराहे से सरूरपुर होकर खिवाई से रोहटा रोड पर निकाला जाएगा। इससे वाहन चालकों को लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा।
- निजाम अंसारी, पूर्व चेयरमैन