ट्रामा में स्टिंग आपरेशन के जरिए उठा पर्दा, मरीज से सौदा करते मिले ये लोग Meerut News
सीनियर रेजीडेंट की मिलीभगत से मेरठ मेडिकल में एंटीबायोटिक दवाओं का बड़ा कारोबार फलफूल रहा है। दैनिक जागरण ने शनिवार को स्टिंग आपरेशन के जरिए इस गड़बड़झाले से पर्दा उठाया।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 02:51 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। मेडिकल कालेज की साख ऐसे ही नहीं गर्त में पहुंच गई। डाक्टरों की मिलीभगत से मरीजों को न सिर्फ नर्सिंग होमों में भेजने का रैकेट चला, बल्कि कंपनियों के एजेंट मरीजों के बेड तक दवा बेचने पहुंच जाते हैं। दैनिक जागरण ने शनिवार को स्टिंग आपरेशन के जरिए इस गड़बड़झाले से पर्दा उठाया। मरीजों को मुफ्त इलाज का सरकारी दावा आइसीयू में दम तोड़ता मिला।
मरीज को दिया जा रहा कम दाम में दवा देने का लालच
मेडिकल कालेज का इमरजेंसी वार्ड हमेशा विवादों में रहा है। कभी मरीजों के परिजनों से मारपीट की घटनाएं सामने आईं तो कई बार घंटों तक इलाज की प्रतीक्षा में मरीज ने दम तोड़ दिया। शनिवार दोपहर ट्रामा सेंटर के मेडिसिन आइसीयू में भर्ती एक मरीज से एक सीनियर रेजीडेंट डाक्टर समेत चंद लोग परिजनों से दवा खरीद का सौदा करते नजर आए। स्टिंग में स्पष्ट है कि मरीज को कम दाम में दवा खरीदने के लिए राजी किया जा रहा है। आखिरकार सौदा 4500 में तय हुआ। स्टिंग की भनक लगते ही दवा एजेंट और डाक्टर अलर्ट हो गए। पता चला कि परिजनों को कैंपस में स्थित छूट में मिलने वाली दवा स्टोरों तक नहीं पहुंचने दिया जाता, और उन्हें बेड पर ही दवा उपलब्ध कराई जाती है। मेडिकल स्टाफ की मानें तो दर्जनों प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का बड़ा कारोबार है। मेडिकल के डाक्टर मरीजों को बाहर की दवा ज्यादा कारगर बताते हुए खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं। दवा कंपनियों के एजेंट सीधे मरीज के संपर्क में पहुंचते हैं। इसी प्रकार, कैंपस में 24 घंटे लैब जांच की सुविधा के बावजूद बाहरी पैथोलोजी के एजेंट मेडिकल में मरीजों के बेड तक पहुंचकर सैंपल भरते हैं। माना जाता है कि बाहरी दवा कंपनियों एवं पैथलैबों से कमीशन मिलने की वजह से डाक्टर मरीजों पर दबाव बना देते हैं।
इनका कहना है
मेडिकल कैंपस में बाहरी दवाएं और जांच दंडनीय है। कई बार डाक्टरों की मिलीभगत की शिकायतें आ चुकी हैं। यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा। इसकी जांच कराऊंगा।
- डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज।
मरीज को दिया जा रहा कम दाम में दवा देने का लालच
मेडिकल कालेज का इमरजेंसी वार्ड हमेशा विवादों में रहा है। कभी मरीजों के परिजनों से मारपीट की घटनाएं सामने आईं तो कई बार घंटों तक इलाज की प्रतीक्षा में मरीज ने दम तोड़ दिया। शनिवार दोपहर ट्रामा सेंटर के मेडिसिन आइसीयू में भर्ती एक मरीज से एक सीनियर रेजीडेंट डाक्टर समेत चंद लोग परिजनों से दवा खरीद का सौदा करते नजर आए। स्टिंग में स्पष्ट है कि मरीज को कम दाम में दवा खरीदने के लिए राजी किया जा रहा है। आखिरकार सौदा 4500 में तय हुआ। स्टिंग की भनक लगते ही दवा एजेंट और डाक्टर अलर्ट हो गए। पता चला कि परिजनों को कैंपस में स्थित छूट में मिलने वाली दवा स्टोरों तक नहीं पहुंचने दिया जाता, और उन्हें बेड पर ही दवा उपलब्ध कराई जाती है। मेडिकल स्टाफ की मानें तो दर्जनों प्रकार की एंटीबायोटिक दवाओं का बड़ा कारोबार है। मेडिकल के डाक्टर मरीजों को बाहर की दवा ज्यादा कारगर बताते हुए खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं। दवा कंपनियों के एजेंट सीधे मरीज के संपर्क में पहुंचते हैं। इसी प्रकार, कैंपस में 24 घंटे लैब जांच की सुविधा के बावजूद बाहरी पैथोलोजी के एजेंट मेडिकल में मरीजों के बेड तक पहुंचकर सैंपल भरते हैं। माना जाता है कि बाहरी दवा कंपनियों एवं पैथलैबों से कमीशन मिलने की वजह से डाक्टर मरीजों पर दबाव बना देते हैं।
इनका कहना है
मेडिकल कैंपस में बाहरी दवाएं और जांच दंडनीय है। कई बार डाक्टरों की मिलीभगत की शिकायतें आ चुकी हैं। यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा। इसकी जांच कराऊंगा।
- डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज।
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