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मानसिक रूप से मजबूत बनाती है कांवड़ यात्रा

सैकड़ों मील पैदल कांवड़ लेकर यूं ही शिवभक्त नहीं चलते। यह यात्रा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत भी बनाती है। मन में आस्था तो चरम पर होती ही है मन-मस्तिष्क प्रकृति के करीब आकर सुखद अनुभूति का एहसास भी करता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 06:28 AM (IST)
मानसिक रूप से मजबूत बनाती है कांवड़ यात्रा
मानसिक रूप से मजबूत बनाती है कांवड़ यात्रा

मेरठ, जेएनएन : सैकड़ों मील पैदल कांवड़ लेकर यूं ही शिवभक्त नहीं चलते। यह यात्रा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत भी बनाती है। मन में आस्था तो चरम पर होती ही है, मन-मस्तिष्क प्रकृति के करीब आकर सुखद अनुभूति का एहसास भी करता है। यह कहना है ऋषिकेश जल लेने जा रहे शिवभक्त रवि धामा का।

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गंगनहर मार्ग से शिवभक्तों का जत्था गुजरने लगा है। शनिवार को कई जत्थे ऋषिकेश जल लेने और हरिद्वार से कांवड़ लेकर आते हुए मिले। जानी के समीप कांवड़ मार्ग किनारे विश्राम कर रहे शिवभक्त रवि धामा और उनके भाई ओमेंद्र धामा 11 जुलाई को दिल्ली के बदरपुर बार्डर से पैदल कांवड़ यात्रा पर निकले हैं। वे ऋषिकेश जाएंगे। वहां से जल लेकर अपने निवास के समीप स्थित शिव मंदिर में चढ़ाएंगे। शिवभक्त रवि धामा ने बताया कि वह आठ साल से कांवड़ ला रहे हैं। इस यात्रा से उन्होंने मानसिक और शारीरिक रूप से अपने आप को पहले से कहीं अधिक मजबूत पाया है। पैदल चलते हैं तो शरीर की नस-नस में स्फूर्ति पैदा होती है। वहीं, ओमेंद्र धामा कहते हैं कि बम-बम भोले..हर-हर महादेव के जयकारे लगाते हैं तो सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यात्रा के दौरान हर तनाव से मुक्त केवल शिव भक्ति में लीन होते हैं।

अधूरी तैयारियों पर भारी आस्था

बरेली फरीदपुर के रहने वाले आदित्य शर्मा, कुलदीप, जयराम मिश्रा और नवीन शर्मा नौ जुलाई को हरिद्वार से कांवड़ लेकर पैदल पुष्कर राजस्थान के लिए निकले हैं। कांवड़ मार्ग पर नानू पुल से 100 मीटर दूर पेड़ों की छांव के नीचे आश्रय मिला तो प्रकृति के बीच सुकून भरी नींद आ गई। पूछने पर उन्होंने बताया कि कांवड़ मार्ग पर तैयारियां अधूरी हैं। हरिद्वार से मेरठ तक आ गए हैं, लेकिन कांवड़ मार्ग पर न लाइट है और न ही अभी शिविर लगे हैं। शाम ढलने से पहले सुरक्षित स्थान तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। भगवान शिव पर अटूट आस्था है कहते हैं कि वह हर मुश्किल में हमारे साथ हैं।

इन्होंने कहा..

इसमें कोई शक नहीं कि धार्मिक चेतना से मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कांवड़ यात्रा स्वास्थ्यप्रद होती है। पैदल, नाचते-गाते और दौड़ लगाते हुए शिवभक्त जाते हैं। इससे शरीर में खुशी के हार्मोन जेनरेट होते हैं। व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है। पैदल चलने से मांसपेशी मजबूत होती हैं। साथ ही हार्ट और फेफड़ों को शुद्ध आक्सीजन मिलती हैं।

डॉ. सत्य प्रकाश, मानसिक रोग विशेषज्ञ


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