जरा संभालिए अपने होनहारों को, इनके भविष्य को गर्त में धकेल रहा ई-सिगरेट का नशा Meerut News
बेशक आपका बच्चा बड़ा आदमी बनने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहा है लेकिन अगर उसने चुपके से ई सिगरेट का शौक पाल लिया है तो यह उसके भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
By Edited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 08:02 AM (IST)
मेरठ, [अमित तिवारी] । बेशक आपका बच्चा बड़ा आदमी बनने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहा है, लेकिन ऐसा न हो कि जिस पेन से वह अपने भविष्य की इबारत लिखता दिखाई दे रहा है, वही पेन आपकी अनदेखी के चलते उसके नशे का सबब भी बन चुका हो। दरअसल, बड़ी तादाद में स्कूली बच्चे ई-सिगरेट की गिरफ्त में आ चुके हैं।
स्कूल बैैैग मेें ई सिगरेट
हाल ही में वेस्ट एंड रोड स्थित एक स्कूल के कुछ छात्र ई सिगरेट का सेवन करते पुलिस के हत्थे चढ़े। दीगर स्कूलों व कोचिंग सेंटरों में तलाशी के दौरान कई बार बच्चों के बैग से ई-सिगरेट पकड़ा जा चुका है। इससे शिक्षक और अभिभावकों की पेशानी पर पसीना है। बगल वाले को पता भी नहीं चलता शराब और सिगरेट की बदबू छिपाई नहीं जा सकती, लेकिन खतरनाक बात यह है कि पेन जैसी दिखने वाली ई-सिगरेट गंध रहित होती है। इसमें धुआं न होने के कारण बगल में बैठे छात्र को भी इसकी महक नहीं आती। बच्चे स्कूल बैग में ई-सिगरेट लेकर जाते हैं और मौका देखकर क्लास या टॉयलेट में इसका कश लगाते हैं।
ऐसे ईजाद हुुुई ई सिगरेट
ई-सिगरेट के आदी बच्चे शहर के मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं यह है ई-सिगरेट साल 2003 में सबसे पहले एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट तैयार की थी। पेन और कलम जैसा दिखने वाला इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) यानी ई-सिगरेट ऐसा उपकरण है, जिसमें नीचे एक बैट्री और ऊपर की ओर एक कारट्रिज होती है। कारट्रिज में निकोटिन या गैर निकोटिन युक्त तरल पदार्थ होता, जो बैट्री की सहायता से गर्म होकर निकोटिन युक्त भाप देता है। बैट्री में लगे बटन को दबाने से तरल पदार्थ भाप बनकर उठता है, जिसे मुंह से खींचा जाता है।
कीमत एक हजार सेे शुुुरू
इसमें अलग-अलग फ्लेवर आते हैं। इस स्लो प्वायजन का बच्चों के साथ महिलाएं भी खूब सेवन कर रही हैं। एक हजार से शुरू होती है कीमत बाजार में ई-सिगरेट की कीमत एक से डेढ़ हजार रुपये तक की है। इसका कारट्रिज दो से ढाई सौ रुपये में रिफिल होता है। ऑनलाइन पर इसकी कीमत एक हजार से पांच हजार रुपये तक है। फ्री-होम डिलीवरी की भी सुविधा है। उत्तर प्रदेश समेत राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, विहार, केरल, कर्नाटक, मिजोरम में ई सिगरेट प्रतिबंधित है। शहर में ई-सिगरेट का रैकेट सक्रिय ई-सिगरेट के गोरखधंधे को बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों को निशाने पर लेने के लिए बाकायदा रैकेट चल रहा है। इसमें कक्षा आठवीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूलों के बाहर संपर्क किया जाता है।
सेवन से डिप्रेशन की आशंका दोगुनी
एक छात्र के संपर्क में आने के बाद उसके दोस्तों को भी इसकी लत लगाई जाती है। खासतौर पर शुरुआत में सामान्य फ्लेवर के ई सिगरेट मुहैया कराए जाते हैं। धीरे-धीरे उसकी डोज बढ़ाई जाती है। दिल, दिमाग व फेफड़े को खतरा कार्डियोलॉजिस्ट डा. ममतेश गुप्ता ने बताया कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कंस ने ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले एक लाख लोगों पर शोध किया। इस दौरान पता चला कि ई सिगरेट के सेवन से डिप्रेशन की आशंका दोगुनी होती है। हार्टअटैक का खतरा 56 फीसद तक बढ़ जाता है। यह दिल व फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि इसमें अल्ट्राफाइन पार्टिकल, विषैले पदार्थ एवं पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) की अधिकता होती है। इसमें ग्लिसरीन होने के कारण एक्यूट लंग इंजरी का खतरा बढ़ता है।
सैकड़ों बच्चे काउंसिलिंग के लिए पहुंच रहे
ई सिगरेट में ग्लाइकोल प्रोपाइलीन, निकोटिन, ग्लिसरॉल आदि पदार्थ पाए जाते हैं तो मस्तिष्क विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। कुछ नया आजमाने की चाहत से लग रही लत क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डा. सीमा शर्मा के अनुसार ई सिगरेट के आदी हो चुके सैकड़ों बच्चे काउंसिलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। तकनीकी रूप से एडवांस और फैशन से जुड़े इस उपकरण का इस्तेमाल बच्चे कुछ नया आजमाने के चक्कर में कर रहे हैं। बच्चों में यह धारणा है कि यह नुकसानदायक नहीं है जबकि यह गलत है।
कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व
स्कूलों में इनके नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए। कैंसरजनित भी है ई-सिगरेट मेडिकल कॉलेज के डा. विजय जायसवाल के अनुसार ई सिगरेट तीन जनरेशन के होते हैं, जिसमें सात से आठ हजार फ्लेवर होते हैं। निकोटिन होने के साथ ही इन फ्लेवर में व्याप्त केमिकल्स में कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व होते हैं। इनमें सिगार लाइट, टैंक सिस्टम व पर्सनल वैपोराइजर होता है। एक टैंक में व्याप्त तरल पदार्थ 20 सिगरेट के बराबर होता है। जिस बैट्री से वास्प बनकर निकलता है, उसका कोई माप नहीं होने के कारण वह नुकसान पहुंचाता है। इससे फेफड़े, गुर्दे और दिल प्रभावित होते हैं।
स्कूल बैैैग मेें ई सिगरेट
हाल ही में वेस्ट एंड रोड स्थित एक स्कूल के कुछ छात्र ई सिगरेट का सेवन करते पुलिस के हत्थे चढ़े। दीगर स्कूलों व कोचिंग सेंटरों में तलाशी के दौरान कई बार बच्चों के बैग से ई-सिगरेट पकड़ा जा चुका है। इससे शिक्षक और अभिभावकों की पेशानी पर पसीना है। बगल वाले को पता भी नहीं चलता शराब और सिगरेट की बदबू छिपाई नहीं जा सकती, लेकिन खतरनाक बात यह है कि पेन जैसी दिखने वाली ई-सिगरेट गंध रहित होती है। इसमें धुआं न होने के कारण बगल में बैठे छात्र को भी इसकी महक नहीं आती। बच्चे स्कूल बैग में ई-सिगरेट लेकर जाते हैं और मौका देखकर क्लास या टॉयलेट में इसका कश लगाते हैं।
ऐसे ईजाद हुुुई ई सिगरेट
ई-सिगरेट के आदी बच्चे शहर के मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं यह है ई-सिगरेट साल 2003 में सबसे पहले एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट तैयार की थी। पेन और कलम जैसा दिखने वाला इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) यानी ई-सिगरेट ऐसा उपकरण है, जिसमें नीचे एक बैट्री और ऊपर की ओर एक कारट्रिज होती है। कारट्रिज में निकोटिन या गैर निकोटिन युक्त तरल पदार्थ होता, जो बैट्री की सहायता से गर्म होकर निकोटिन युक्त भाप देता है। बैट्री में लगे बटन को दबाने से तरल पदार्थ भाप बनकर उठता है, जिसे मुंह से खींचा जाता है।
कीमत एक हजार सेे शुुुरू
इसमें अलग-अलग फ्लेवर आते हैं। इस स्लो प्वायजन का बच्चों के साथ महिलाएं भी खूब सेवन कर रही हैं। एक हजार से शुरू होती है कीमत बाजार में ई-सिगरेट की कीमत एक से डेढ़ हजार रुपये तक की है। इसका कारट्रिज दो से ढाई सौ रुपये में रिफिल होता है। ऑनलाइन पर इसकी कीमत एक हजार से पांच हजार रुपये तक है। फ्री-होम डिलीवरी की भी सुविधा है। उत्तर प्रदेश समेत राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, विहार, केरल, कर्नाटक, मिजोरम में ई सिगरेट प्रतिबंधित है। शहर में ई-सिगरेट का रैकेट सक्रिय ई-सिगरेट के गोरखधंधे को बढ़ाने के लिए स्कूली बच्चों को निशाने पर लेने के लिए बाकायदा रैकेट चल रहा है। इसमें कक्षा आठवीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूलों के बाहर संपर्क किया जाता है।
सेवन से डिप्रेशन की आशंका दोगुनी
एक छात्र के संपर्क में आने के बाद उसके दोस्तों को भी इसकी लत लगाई जाती है। खासतौर पर शुरुआत में सामान्य फ्लेवर के ई सिगरेट मुहैया कराए जाते हैं। धीरे-धीरे उसकी डोज बढ़ाई जाती है। दिल, दिमाग व फेफड़े को खतरा कार्डियोलॉजिस्ट डा. ममतेश गुप्ता ने बताया कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कंस ने ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले एक लाख लोगों पर शोध किया। इस दौरान पता चला कि ई सिगरेट के सेवन से डिप्रेशन की आशंका दोगुनी होती है। हार्टअटैक का खतरा 56 फीसद तक बढ़ जाता है। यह दिल व फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि इसमें अल्ट्राफाइन पार्टिकल, विषैले पदार्थ एवं पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) की अधिकता होती है। इसमें ग्लिसरीन होने के कारण एक्यूट लंग इंजरी का खतरा बढ़ता है।
सैकड़ों बच्चे काउंसिलिंग के लिए पहुंच रहे
ई सिगरेट में ग्लाइकोल प्रोपाइलीन, निकोटिन, ग्लिसरॉल आदि पदार्थ पाए जाते हैं तो मस्तिष्क विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। कुछ नया आजमाने की चाहत से लग रही लत क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डा. सीमा शर्मा के अनुसार ई सिगरेट के आदी हो चुके सैकड़ों बच्चे काउंसिलिंग के लिए पहुंच रहे हैं। तकनीकी रूप से एडवांस और फैशन से जुड़े इस उपकरण का इस्तेमाल बच्चे कुछ नया आजमाने के चक्कर में कर रहे हैं। बच्चों में यह धारणा है कि यह नुकसानदायक नहीं है जबकि यह गलत है।
कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व
स्कूलों में इनके नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए। कैंसरजनित भी है ई-सिगरेट मेडिकल कॉलेज के डा. विजय जायसवाल के अनुसार ई सिगरेट तीन जनरेशन के होते हैं, जिसमें सात से आठ हजार फ्लेवर होते हैं। निकोटिन होने के साथ ही इन फ्लेवर में व्याप्त केमिकल्स में कैंसर उत्पन्न करने वाले तत्व होते हैं। इनमें सिगार लाइट, टैंक सिस्टम व पर्सनल वैपोराइजर होता है। एक टैंक में व्याप्त तरल पदार्थ 20 सिगरेट के बराबर होता है। जिस बैट्री से वास्प बनकर निकलता है, उसका कोई माप नहीं होने के कारण वह नुकसान पहुंचाता है। इससे फेफड़े, गुर्दे और दिल प्रभावित होते हैं।
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