गोरखधंधा : बेची जा रही डॉक्टर की डिग्री, बड़े रैकट का हाथ होने का अंदेशा Meerut News
वेस्ट यूपी में डॉक्टर की डिग्री बेची जा रही है। जैन कन्या डिग्री कॉलेज मुजफ्फरनगर में मंगलवार को 12 छात्र इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ नकल करते पकड़े गए थे।
By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 01:42 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 01:42 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। प्राइवेट कॉलेजों और प्राइवेट विश्वविद्यालयों में डाक्टर की डिग्री बेची जा रही है। दाखिले से लेकर परीक्षा कराने और रिजल्ट तक एक रैकेट काम कर रहा है। जैन कन्या डिग्री कॉलेज, मुजफ्फरनगर में मंगलवार को 12 छात्र इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ नकल करते पकड़े गए। इसमें बड़े रैकेट का हाथ होने की आशंका है। सामूहिक नकल पकड़ने वाली टीम ने विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें विशेष जांच की सिफारिश की गई है।
सेंटर बनाने पर उठा सवाल
बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्रों की परीक्षा के लिए जिस जैन कन्या डिग्री कॉलेज में सेंटर बनाया गया था, उस पर भी सवाल उठने लगा है। नियमानुसार विश्वविद्यालय गल्र्स कॉलेजों में केवल छात्रओं का परीक्षा केंद्र बनाता है लेकिन जैन कन्या गल्र्स कॉलेज परीक्षा केंद्र पर एमबीबीएस के छात्र-छात्रएं दोनों थे। सवाल यह है कि कॉलेज में जब पूरा स्टाफ महिला शिक्षिकाओं का है तो नकल जांच के लिए छात्रों की चेकिंग कैसे हो पाती।
पूरी प्लानिंग के साथ नकल कराई जा रही
मंगलवार को विश्वविद्यालय के विशेष सचल दल ने एक के बाद एक 12 नकलचियों को हाइटेक डिवाइस से नकल करते पकड़ा था। इस दौरान कुछ छात्र यह भी कहते रहे कि छात्राओं के पास भी नकल सामग्री है लेकिन शिक्षिकाओं ने किसी छात्र की जांच में सहयोग नहीं किया। नकल पकड़े जाने के बाद कुछ ही देर में जिस तरह सभी छात्रों के अभिभावक एकत्रित हो गए, उससे स्पष्ट है कि पूरी प्लानिंग के साथ नकल कराई जा रही थी। डिवाइस के जरिए बाहर से बोलकर प्रश्नों को हल कराया जा रहा था। इसमें मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज से लेकर जैन कॉलेज प्रबंधन की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता।
सेंटर हटाया, अभी डिबार नहीं
विश्वविद्यालय ने जैन कन्या डिग्री कॉलेज में बने परीक्षा केंद्र को बुधवार को रद कर दिया। मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज की पूरी परीक्षा अब एसडी कॉलेज मुजफ्फरनगर में होंगी। विवि ने अभी सेंटर को डिबार नहीं किया है। उधर, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डा. राजीव गुप्ता ने विवि प्रशासन से गल्र्स कॉलेज में सेंटर बनाने के विषय में पूछा है। साथ ही मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से भी कार्रवाई करने को कहा है।
एक रंग की बनियान-अंडरवियर में थे छात्र
विवि के सचल दस्ते की रिपोर्ट के मुताबिक, पकड़े गए छात्र सफेद रंग का अंडरवियर और काले रंग की बनियान पहने थे। इसी में पूरी डिवाइस सेट की हुई थी। जिन छात्रों ने विग पहनी हुई थी, उनके कपड़े दूसरे रंग के थे।
दस लाख रुपये की पेशकश
सूत्रों के मुताबिक, सचल दस्ते की पकड़ में आने के बाद कई छात्र अपने बचाव के एवज में 10 लाख रुपये तक देने को तैयार थे। छात्र टीम के सामने गुहार लगाते रहे। सचल दस्ते के साथ गए कार ड्राइवर से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन प्रयास नाकाम रहा।
कई अधिकारी और डाक्टर के बेटे
प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस में प्रवेश के लिए कालेज लाखों रुपये फीस वसूलते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, एक एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने में एक उम्मीदवार को एक करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है। मंगलवार को एमबीबीएस की परीक्षा में हिमांशु, सुमित पुनिया, निगम चौधरी, प्रियांशु चौहान, करन पंवार, विकास, लावण्य त्यागी, मुसाहिद हुसैन, सुमित चौधरी, विशाल वर्मा, मोहित सिंह, प्रशांत नेहरा के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है। बताते हैं इनमें से कई छात्र डाक्टर और अधिकारियों के बेटे हैं।
सतर्क हुआ विश्वविद्यालय प्रशासन
सहारनपुर और मेरठ मेडिकल कॉलेज को छोड़कर सभी कालेज प्राइवेट हैं, जहां एमबीबीएस की पढ़ाई होती है। एडेड कॉलेजों में विश्वविद्यालय से सेल्फ सेंटर बनाया है जबकि मुजफ्फरनगर, रामा कॉलेज, सरस्वती कॉलेज आदि का सेंटर दूसरे कॉलेजों में है। मुजफ्फरनगर की घटना के बाद विवि अन्य कॉलेजों को लेकर सतर्क हो गया है।
सेंटर बनाने पर उठा सवाल
बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्रों की परीक्षा के लिए जिस जैन कन्या डिग्री कॉलेज में सेंटर बनाया गया था, उस पर भी सवाल उठने लगा है। नियमानुसार विश्वविद्यालय गल्र्स कॉलेजों में केवल छात्रओं का परीक्षा केंद्र बनाता है लेकिन जैन कन्या गल्र्स कॉलेज परीक्षा केंद्र पर एमबीबीएस के छात्र-छात्रएं दोनों थे। सवाल यह है कि कॉलेज में जब पूरा स्टाफ महिला शिक्षिकाओं का है तो नकल जांच के लिए छात्रों की चेकिंग कैसे हो पाती।
पूरी प्लानिंग के साथ नकल कराई जा रही
मंगलवार को विश्वविद्यालय के विशेष सचल दल ने एक के बाद एक 12 नकलचियों को हाइटेक डिवाइस से नकल करते पकड़ा था। इस दौरान कुछ छात्र यह भी कहते रहे कि छात्राओं के पास भी नकल सामग्री है लेकिन शिक्षिकाओं ने किसी छात्र की जांच में सहयोग नहीं किया। नकल पकड़े जाने के बाद कुछ ही देर में जिस तरह सभी छात्रों के अभिभावक एकत्रित हो गए, उससे स्पष्ट है कि पूरी प्लानिंग के साथ नकल कराई जा रही थी। डिवाइस के जरिए बाहर से बोलकर प्रश्नों को हल कराया जा रहा था। इसमें मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज से लेकर जैन कॉलेज प्रबंधन की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता।
सेंटर हटाया, अभी डिबार नहीं
विश्वविद्यालय ने जैन कन्या डिग्री कॉलेज में बने परीक्षा केंद्र को बुधवार को रद कर दिया। मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज की पूरी परीक्षा अब एसडी कॉलेज मुजफ्फरनगर में होंगी। विवि ने अभी सेंटर को डिबार नहीं किया है। उधर, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डा. राजीव गुप्ता ने विवि प्रशासन से गल्र्स कॉलेज में सेंटर बनाने के विषय में पूछा है। साथ ही मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से भी कार्रवाई करने को कहा है।
एक रंग की बनियान-अंडरवियर में थे छात्र
विवि के सचल दस्ते की रिपोर्ट के मुताबिक, पकड़े गए छात्र सफेद रंग का अंडरवियर और काले रंग की बनियान पहने थे। इसी में पूरी डिवाइस सेट की हुई थी। जिन छात्रों ने विग पहनी हुई थी, उनके कपड़े दूसरे रंग के थे।
दस लाख रुपये की पेशकश
सूत्रों के मुताबिक, सचल दस्ते की पकड़ में आने के बाद कई छात्र अपने बचाव के एवज में 10 लाख रुपये तक देने को तैयार थे। छात्र टीम के सामने गुहार लगाते रहे। सचल दस्ते के साथ गए कार ड्राइवर से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन प्रयास नाकाम रहा।
कई अधिकारी और डाक्टर के बेटे
प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस में प्रवेश के लिए कालेज लाखों रुपये फीस वसूलते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, एक एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने में एक उम्मीदवार को एक करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है। मंगलवार को एमबीबीएस की परीक्षा में हिमांशु, सुमित पुनिया, निगम चौधरी, प्रियांशु चौहान, करन पंवार, विकास, लावण्य त्यागी, मुसाहिद हुसैन, सुमित चौधरी, विशाल वर्मा, मोहित सिंह, प्रशांत नेहरा के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है। बताते हैं इनमें से कई छात्र डाक्टर और अधिकारियों के बेटे हैं।
सतर्क हुआ विश्वविद्यालय प्रशासन
सहारनपुर और मेरठ मेडिकल कॉलेज को छोड़कर सभी कालेज प्राइवेट हैं, जहां एमबीबीएस की पढ़ाई होती है। एडेड कॉलेजों में विश्वविद्यालय से सेल्फ सेंटर बनाया है जबकि मुजफ्फरनगर, रामा कॉलेज, सरस्वती कॉलेज आदि का सेंटर दूसरे कॉलेजों में है। मुजफ्फरनगर की घटना के बाद विवि अन्य कॉलेजों को लेकर सतर्क हो गया है।
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