Move to Jagran APP

सुर-ताल के संगम पर 'थिरक' रहा भविष्य

शहर के चारों ग‌र्ल्स कॉलेजों में भारतीय संगीत की पढ़ाई हो रही है। स्नातक के अलावा परास्नातक में भी छात्राएं संगीत विषय चुन रही हैं। ऐसा करके वह रोजगार के साथ अपने शौक को भी पूरा कर रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jul 2019 06:20 AM (IST)
सुर-ताल के संगम पर  'थिरक' रहा भविष्य
सुर-ताल के संगम पर 'थिरक' रहा भविष्य

मेरठ, जेएनएन : शहर के चारों ग‌र्ल्स कॉलेजों में भारतीय संगीत की पढ़ाई हो रही है। स्नातक के अलावा परास्नातक में भी छात्राएं संगीत विषय चुन रही हैं। ऐसा करके वह रोजगार के साथ अपने शौक को भी पूरा कर रही हैं।

loksabha election banner

इस समय शहर के चारों ग‌र्ल्स कॉलेज आरजी डिग्री कॉलेज, इस्माईल डिग्री कॉलेज, कनोहर लाल डिग्री कॉलेज और शहीद मंगल पांडे डिग्री कॉलेज में छात्राओं को गायन, तबला और सितार की शिक्षा दी जा रही है। इन विषयों को पढ़कर छात्राएं सुर-ताल मिला रही हैं और रोजगार की राह को आसान बना रही हैं।

कहां कितनी सीटें

कनोहर लाल डिग्री कॉलेज

स्नातक

गायन - 20, तबला - 20, सितार- 20

आरजी डिग्री कॉलेज स्नातक

गायन- 80, तबला- 80, सितार

परास्नातक

गायन-6, तबला- 6, सितार-6

इस्माईल डिग्री कॉलेज स्नातक

गायन-27, तबला-27, सितार-26,

परास्नातक

गायन-6, तबला-6, सितार-6

शहीद मंगल पांडे डिग्री कॉलेज स्नातक

गायन- 80

परास्नातक

गायन-20

कोर्स के बाद यहां है स्कोप

भारतीय संस्कृति में संगीत के हजारों रूप हैं, जिन्हें समझना कोई आसान काम नहीं है। जिसमें न जाने कितनी अन्य संस्कृतियों का संगीत समाहित हो चुका है, फिर भी भारतीय संगीत की खुशबू सबसे अलग है। जो छात्राएं संगीत की शिक्षा ग्रहण कर संगीत के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाना चाहती हैं, उनके लिए न सिर्फ शिक्षण क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, बल्कि सिंगिंग, रिकॉर्डिग, ध्वनि विज्ञान और म्यूजिक थैरेपी में भी अपना भविष्य बना रही हैं।

- संगीत से साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति एकाग्र होकर कोई भी काम कर सकता है। इसलिए संगीत की शिक्षा प्राप्त कर न सिर्फ रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, बल्कि इससे जीवन को भी एक राह मिल रही है।

-डा. वेणु वनिता, एचओडी संगीत कनोहर लाल डिग्री कॉलेज।

- हमारी कई छात्राओं ने संगीत के क्षेत्र में नाम रोशन करते हुए कई स्टेज शो भी किए हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। इसके अलावा कई छात्राएं अपनी म्यूजिक एकेडमी भी चला रही हैं।

-डा. अनिता कश्यप, एचओडी संगीत आरजी डिग्री कॉलेज

स्टेज शो और टीवी शो ने छात्राओं की रुचि संगीत गायन में बढ़ाई है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। यही कारण है कि आज काफी संख्या में छात्राएं संगीत की शिक्षा ले रही हैं।

-शालिनी वर्मा, असिस्टेंट प्रो. शहीद मंगल पाडे डिग्री कॉलेज

- भारतीय संस्कृति में संगीत का जो मुकाम था अब भी वही है। बस उसका स्वरूप बदल गया है। अब पारंपरिक संगीत से अधिक फ्यूजन पसंद किया जाता है।

- डा. रीना गुप्ता, एचओडी इस्माईल डिग्री कॉलेज।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.