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शपथ के बाद पुलिस बेड़े में शामिल हुई 126 महिला आरक्षी

शास्त्रीनगर स्थित पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय में 2018-19 बैच की महिला रिक्रूट्स की छह महीने के सख्त प्रशिक्षण के बाद सोमवार को भव्य समारोह में पासिंग आउट परेड हुई। पद एवं गोपनीयता की शपथ के बाद 126 महिला आरक्षी पुलिस बेड़े में शामिल हुईं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 06:11 AM (IST)
शपथ के बाद पुलिस बेड़े में शामिल हुई 126 महिला आरक्षी
शपथ के बाद पुलिस बेड़े में शामिल हुई 126 महिला आरक्षी

मेरठ । शास्त्रीनगर स्थित पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय में 2018-19 बैच की महिला रिक्रूट्स की छह महीने के सख्त प्रशिक्षण के बाद सोमवार को भव्य समारोह में पासिंग आउट परेड हुई। पद एवं गोपनीयता की शपथ के बाद 126 महिला आरक्षी पुलिस बेड़े में शामिल हुईं। दीक्षांत परेड समारोह के मुख्यअतिथि एडीजी प्रशिक्षण डॉ. संजय एम तरडे थे, जिनका स्वागत पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय की प्रधानाचार्य एवं आइजी लक्ष्मी सिंह ने किया। अक्टूबर 2018 में शुरू हुई ट्रेनिंग में मृतक आश्रित, स्पो‌र्ट्स कोटा और सीधी भर्ती की 127 महिला रिक्रूट्स शामिल थीं। बीच ट्रेनिंग में एक महिला आरक्षी का दूसरे विभाग में चयन होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 126 रिक्रूट्स रह गई थीं। अतिथि एसएसपी नितिन तिवारी ने भी महिला आरक्षियों को शुभकामनाएं दीं। डीएसपी वंदना मिश्रा, सैन्य सहायक अलका के अलावा सभी पीटीआइ और अन्य टीचर मौजूद थे।

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छह टोलियों की तीन परेड कमांडर सम्मानित

परेड की 126 महिला कैडेट्स की छह टोलियां बनाई गई थीं। परेड की प्रथम कमांडर कैडेट्स रिया मिश्रा, द्वितीय कमांडर राज लक्ष्मी और तृतीय परेड कमांडर खुशबू यादव रहीं। रिया मिश्रा को सर्वाग सर्वोत्तम कैडेट्स के लिए चुना गया। समस्त अन्त: विषयों में निधि देवी प्रथम रहीं, जबकि बाह्य विषयों में शगूफा तौहिद प्रथम स्थान पर रहीं। इनके अलावा अन्य विषयों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कैडेट्स को भी मोमेंटो और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

वर्दी पहनकर तुम अनुशासन में बंध गए : एडीजी

मुख्यअतिथि एडीजी डॉ. संजय एम तरडे ने महिला आरक्षी को कहा कि अब से आप सामान्य नागरिक नहीं रहे। शरीर पर वर्दी धारण करने के बाद अब अनुशासन से बंध गए हो। जरा सी गलती होते ही सभी की नजर तुम पर होगी। एक वर्दी धारी भीड़ में अलग दिखाई देता है। पुलिस विभाग की आन, बान और शान को बनाए रखने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है। ट्रेनिंग ही जवान को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत करती है। पुलिस की नौकरी चैलेंज है, जिसे स्वीकार कर संयम नहीं खोना है।

आतंकवाद, नक्सलवाद बड़ी चुनौती

मुख्यअतिथि ने कहा कि आतंकवाद व नक्सलवाद बड़ी चुनौती हैं। इस ट्रेनिंग में इस तरह की चुनौतियों से निपटना सिखा दिया गया है। किसी भी हाल में जवान को अपना मनोबल नहीं तोड़ना है। मनोबल टूटता है तो आपको हार का सामना करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने किया था बैच का शुभारंभ

एडीजी ने कहा कि 2018-19 की भर्ती के बाद शुरू हुई ट्रेनिंग के बैच का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में किया था। यह इस बैच के प्रशिक्षणार्थियों के लिए बहुत सुखद एहसास है। शासन-प्रशासन जिस मंशा से कार्य कर रहा है, जो उनकी अपेक्षाएं हैं वही आपको और हम सबको पूरी तरह निभानी है। पासिंग आउट परेड के बाद महिला आरक्षियों को मुख्यमंत्री, यूपी डीजीपी और यूपी पुलिस प्रशिक्षण मुख्यालय के डीजी ने भी शुभकामनाएं दी हैं।

छह माह तक साथ, अब बिछड़ने पर भर आई आंखें

पीटीएस में छह माह के सख्त प्रशिक्षण के दौरान टोलियों में साथ रहने वाली यूपी पुलिस की महिला कैडेट्स सिपाही बनीं तो एक-दूसरे से बिछड़ने का दुख आंखों से आंसुओं के रूप में नजर आया। पासिंग आउट परेड के बाद कई महिला आरक्षी एक दूसरे के गले लगकर खूब रोईं। समय-समय पर एक-दूसरे के घर और पोस्टिंग वाले जिले में आकर मिलने का वादा किया। जिन्हें देख वहां खड़ी अन्य महिला कैडेट्स की आंखें भी भर आई।

लाडली ने नाम रोशन किया तो मां ने दुलारा

पिता किसान है। घर की माली हालत भी ठीक नही। मगर, बेटी में पढ़कर कुछ बनने का जज्बा था। ग्रेजुएशन के बाद पहली बार में ही पुलिस में भर्ती हो गई। ट्रेनिंग पूरी कर बेटी सिपाही बनी तो मां की आंखें भर आईं। लाडली को चूमकर उसे दुलार किया।

पिता की मृत्यु के बाद बस पुलिस में ही जाना था मकसद

फिरोजाबाद के सिरसागंज निवासी खुशबू यादव ने बताया कि उसके पिता जयराम यादव पीएसी में थे, जिनकी 2012 में हार्टअटैक से मौत हो गई। परिवार में कोई बड़ा नहीं था, जिसके बाद बीएससी पास कर पुलिस जॉइन करना लक्ष्य बना लिया। मृतक आश्रित में भर्ती हुईं और सख्त प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में तृतीय कमांडर की अहम जिम्मेदारी निभाई।


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