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बिना डीपीआर ही मंत्रीजी ने कर दिया था शिलान्यास

यूपीए सरकार ने टर्मिनल की बात कहकर लोगों की भावनाओं से खेला तो एनडीए सरकार भी इस मामले में पीछे नहीं है। एक उदाहरण सबके सामने है। वर्ष 2015 के बजट में इंदारा-दोहरीघाट रेल खंड के आमान परिवर्तन की घोषणा की गई। तब से लेकर आज तक इसके नाम पर काम कम और बयानबाजी ही ज्यादा हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 09:57 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 09:57 PM (IST)
बिना डीपीआर ही मंत्रीजी ने कर दिया था शिलान्यास
बिना डीपीआर ही मंत्रीजी ने कर दिया था शिलान्यास

जागरण संवाददाता, मऊ : एनडीए सरकार में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के नेतृत्व में रेलवे के विस्तारीकरण का काम भले जोरों पर है परंतु सच का एक स्याह पक्ष यह भी है कि जनपद के लोगों को सरकार द्वारा इस मामले में अब तक गुमराह ही किया गया है और सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा गलतबयानी ही की गई है। यूपीए सरकार ने टर्मिनल की बात कहकर लोगों की भावनाओं से खेला तो एनडीए सरकार भी इस मामले में पीछे नहीं है। एक उदाहरण सबके सामने है। वर्ष 2015 के बजट में इंदारा-दोहरीघाट रेल खंड के आमान परिवर्तन की घोषणा की गई। तब से लेकर आज तक इसके नाम पर काम कम और बयानबाजी ही ज्यादा हुई है। यहां तक कि इस परियोजना पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बने बिना ही रेल राज्य मंत्री ने इसका शिलान्यास भी कर दिया। आज तक इस परियोजना पर एक रुपये खर्च नहीं किए गए हैं। बार-बार काम शीघ्र शुरू करने का आश्वासन दिया जाता रहा है। इन बातों की सच्चाई खुली है सूचना के अधिकार के माध्यम से।

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सूचना के अधिकार के तहत इस मामले में मांगी गई जानकारी के जवाब में सहायक लोक सूचना अधिकारी, उप मुख्य इंजीनियर निर्माण गजेंद्र नाथ का पत्र पूरी सच्चाई खोल कर रख देता है। इस पत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस परियोजना का डीपीआर बीते तीन जनवरी 2018 को तैयार हुआ जबकि शिलान्यास 20 अक्टूबर 2016 को ही कर दिया गया था। यानि लगभग 14 माह पूर्व। 2015 के बजट में प्रस्तावित इस परियोजना के तहत 34.37 किमी लंबाई के इस रेलखंड का आमान परिवर्तन यानि उच्चीकरण करते हुए छोटी लाइन से बड़ी लाइन में तब्दील करना और रेलखंड का दोहरीकरण किया जाना था। इसके लिए वर्ष 2016-17 के बजट में अनुमानित लागत 120 करोड़ रुपये निर्धारित करते अंतिम अनुदानित राशि 213.35 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था परंतु इस मद में एक रुपये भी आवंटित नहीं हुआ। अगला वित्तीय वर्ष भी सन्नाटे में ही बीता। काफी हो-हल्ला व बार-बार सवाल उठने पर इस वर्ष बीती 03 जनवरी को परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हुई। वर्ष 2018-19 के बजट में महज 10 करोड़ रुपये की राशि रिलीज की गई ¨कतु अभी तक खर्च एक पाई भी नहीं हुई है। इस परियोजना के जमीनी कार्य, पुलों के निर्माण, भवन निर्माण, प्लेटफार्म बनाने आदि के लिए बीते तीन मई को टेंडर खुला ¨कतु अभी तक इसकी ट‌र्म्स एंड कंडीशंस प्रक्रिया के तहत ही है।

इस संबंध में आरटीआइ के तहत सूचना मांगने वाले किसान नेता देवप्रकाश राय का कहना है कि सरकार और उसके मंत्री, विधायक, सांसद और अधिकारी तक इस मामले में अक्सर अखबारों में गलतबयानी कर जनता को गुमराह करते रहे हैं।


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