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खटारा वाहनों पर कार्रवाई से क्यों भाग रहा प्रशासन

अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी से मिलकर ज्ञापन सौंपा। इसमें स्कूली वाहनों में छात्र-छात्राओं को वस्तु की भांति ढुलाई करने का मामला विशेष रहा। साथ ही मंच ने पूछा कि खटारा वाहनों से बच्चों की स्कूलों में ढुलाई हो रही है इस पर प्रशासन आंख क्यों मूंदे पड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 07:44 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 07:44 PM (IST)
खटारा वाहनों पर कार्रवाई से क्यों भाग रहा प्रशासन
खटारा वाहनों पर कार्रवाई से क्यों भाग रहा प्रशासन

जागरण संवाददाता, मऊ : अभिभावक मंच का प्रतिनिधिमंडल विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी से मिलकर ज्ञापन सौंपा। इसमें स्कूली वाहनों में छात्र-छात्राओं को वस्तु की भांति ढुलाई करने का मामला विशेष रहा। साथ ही मंच ने पूछा कि खटारा वाहनों से बच्चों की स्कूलों में ढुलाई हो रही है, इस पर प्रशासन आंख क्यों मूंदे पड़ा है।

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मंच ने जिलाधिकारी को बताया कि यह समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस व एआरटीओ दो पहिया वाहन चालकों पर बड़ी कार्रवाई करता नजर आ रहा है परंतु स्कूली वाहनों में अथवा प्राइवेट वाहनों द्वारा स्कूली बच्चों की जिस तरह से परिवहन किया जा रहा है, उस पर खामोश क्यों है। कहीं यह संगठित अपराधी पुलिस व आरटीओ की जेब तो नहीं गर्म कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। दो पहिया वाहन चालकों पर कार्रवाई का मंच स्वागत करता हैं लेकिन जानवरों से भी बदतर स्थिति में स्कूली बच्चों का परिवहन समझ से परे बना हुआ है। मंच के अध्यक्ष अमरेश कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में क्यों नहीं पढ़ाते। उन्होंने कहा कि राजकोष से वेतन पाने वाले सभी कर्मचारी-अधिकारी अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू करें, तो हम भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में दाखिला कराएंगे। एनसीईआरटी की पुस्तक लागू नहीं होने से और बैग के वजन का मानक पूरी तरह से जनपद में ध्वस्त होने से बच्चों व अभिभावकों का शोषण हो रहा है। संरक्षक गुप्तेश्वर सिंह ने कहा कि मंच की मांगों पर अतिशीघ्र ध्यान दिया जाए। जिससे युवाओं का शोषण समाप्त हो और भारत सरकार की मंशा अनुरूप बैग मानक वजन, एनसीईआरटी की पुस्तकों से पठन-पाठन के कानून को लागू किया जाए। सेवानिवृत्त अध्यापक रामाशंकर सिंह सिंह एडवोकेट ने कहा कि अध्यापकों को प्रतिदिन कम से कम 500 रुपये के हिसाब से दैनिक वेतन दिया जाए। अरविद मूर्ति ने त्रि-स्तरीय समिति का गठन करने की मांग की। इसमें जिला प्रशासन, निजी विद्यालयों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्य और अभिभावक मंच को सम्मिलित किया जाए। प्रतिनिधिमंडल में अलाउद्दीन बादशाह, उत्तम सिंह, मनीष राय, पिटू वर्मा, सुभाष यादव एडवोकेट, राजकुमार शर्मा, राहुल यादव एडवोकेट, पवन सिंह, रामाशंकर सिंह, अतुल सिंह, रोशन खान आदि शामिल थे।


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