Move to Jagran APP

सरकारी आस में टूट गई विधवा की सांस

वलीदपुर (मऊ) दस साल पूर्व पति की मौत से अभी उबर न सकी विधवा गैस रिसाव से हुए विस्फोट कांड के बाद बेटी की मौत के बाद सदमें में आने के बाद उसकी शुक्रवार की शाम छह बजे मौत हो गई। वह चार बेटियों को लेकर खानाबदोश की जिदगी गुजार रही थी और मानसिक रूप से काफी परेशान चल रही थी। यही वजह रही कि वह तमाम बीमारियों से ग्रसित हो गई थी। सरकारी सहायता न मिलने व दवा इलाज के लिए पैसे नहीं होने की वजह से भी वह टूट चुकी थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 06:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 06:15 PM (IST)
सरकारी आस में टूट गई विधवा की सांस
सरकारी आस में टूट गई विधवा की सांस

जागरण संवाददाता, वलीदपुर (मऊ) : दस साल पूर्व पति की मौत से अभी उबर न सकी विधवा गैस रिसाव से हुए विस्फोट कांड के बाद बेटी की मौत के बाद सदमें में आने के बाद उसकी शुक्रवार की शाम छह बजे मौत हो गई। वह चार बेटियों को लेकर खानाबदोश की जिदगी गुजार रही थी और मानसिक रूप से काफी परेशान चल रही थी। यही वजह रही कि वह तमाम बीमारियों से ग्रसित हो गई थी। सरकारी सहायता न मिलने व दवा इलाज के लिए पैसे नहीं होने की वजह से भी वह टूट चुकी थी।

loksabha election banner

बीते 14 अक्टूबर की सुबह छोटू विश्वकर्मा के घर हुए गैस रिसाव से विस्फोट की घटना में जहां 18 लोगों की मौत हो गई वहीं दो दर्जन के करीब लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। इस घटना में छोटू का मकान जमींदोज हो गया था। इस दौरान मलबे में दबकर घर गृहस्थी का पूरा सामान नष्ट हो गया। घटना के नौ माह बाद भी उनका परिवार दूसरे के घरों में रहकर दिन काट रहा है। स्वर्गीय छोटू का निधन लगभग एक दशक पूर्व गंभीर बीमारी के चलते हो गया थ। उनकी विधवा पत्नी अपनी पांच बेटियों को लेकर किसी तरह से गरीबी में जीवन यापन कर रही थी। इस घटना ने पत्नी को झकझोर कर रख दिया था। घटना में छोटू की तीन बेटियां बुरी तरह से जख्मी हो गई थीं। इसमें इलाज के दौरान ममता का मृत्यु हो गई थी। मोना शर्मा महीनों इलाज के बाद ठीक होकर घर आई फिर भी अभी उसकी सर्जरी होना बाकी है। संजना के हाथ में आज भी दर्द होता रहता है। इस घटना के बाद से ही 50 वर्षीय रीता विश्वकर्मा सदमे में रह रही थी। वह खौफनाक मंजर को भूल नहीं पा रही थी। बेटी ममता को खोने का गम आए दिन उसे सता रहा था। तभी से वह लगभग आधा दर्जन बीमारियों से ग्रसित हो गई थी। पैसे के अभाव में अपना व अपने पुत्रियों का इलाज सुव्यवस्थित ढंग से नहीं करा पा रही थी। घायल दोनों पुत्रियों को प्रधानमंत्री राहत कोष से  50-50 हजार व मृतक को दो लाख रुपये सहायता राशि मिली थी। सभी पैसा दवा इलाज में समाप्त हो गया था। विधवा सरकारी सहायता व एचपीसीएल कंपनी के मुआवजा राशि के लिए इधर उधर दर-दर की ठोकरें खाने को विवश थी। मुआवजा के लिए गैस कंपनी द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा था। शुक्रवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्हें आजमगढ़ मंडल चिकित्सालय में ले जाया गया। यहां कुछ ही देर उपचार के बाद चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। मौत की जानकारी जब विधवा के चारों लड़कियों को हुई तो दहाड़े मारकर चीखने चिल्लाने लगी। देखने वालों का कलेजा फट जा रहा था। हर किसी की आंखों में आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहा था। शनिवार की सुबह विधवा का तमसा नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया गया। -----------------

विधवा की चार बेटियों का कौन बनेगा सहारा

स्वर्गीय छोटू विश्वकर्मा की विधवा पत्नी रीता विश्वकर्मा ने अपनी चार बेटियों को छोड़कर दुनिया से चली गई अब उनकी पुत्रियों का कौन सहारा बनेगा यह सवाल लोगों  के मन में कौंधने लगा है। कौन उन लोगों का पालन पोषण करेगा कैसे उनकी जीविका चलेगी।  गैस विस्फोट की घटना में ममता विश्वकर्मा की मौत होने के बाद मोना विश्वकर्मा, सपना, संजना, रंजना बची हुई हैं। इसमें  मोना बीए तृतीय वर्ष, सपना इंटर, संजना व रंजना कक्षा नौ में शिक्षा ग्रहण कर रही है। इसमें कक्षा नौ की दोनों पुत्रियों का नाम लिखाना बाकी है। पढ़ाई के साथ साथ मोना की सर्जरी होना भी बाकी है। पैसे के अभाव में जहां चारों पुत्रियों को शिक्षा ग्रहण के साथ साथ दवा इलाज की भी समस्या आड़े आएगी। सरकारी सहायता की आस में विधवा की सांस भी थम गई। फिर भी कोई मदद नहीं मिली। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.