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ट्रेनों की लेटलतीफी से फीका पड़ा त्योहार

जागरण संवाददाता, मऊ : मकर संक्रांति पर्व पर एक-दूसरे को बधाई देने व छुट्टी होने के नाते अ

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 09:49 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2018 09:49 PM (IST)
ट्रेनों की लेटलतीफी से फीका पड़ा त्योहार
ट्रेनों की लेटलतीफी से फीका पड़ा त्योहार

जागरण संवाददाता, मऊ : मकर संक्रांति पर्व पर एक-दूसरे को बधाई देने व छुट्टी होने के नाते अपने घरों को निकले यात्रियों को ट्रेनों के इंतजार में खूब परेशानी उठानी पड़ी। ट्रेनों की लेटलतीफी के चलते प्लेटफार्म पर अपनी-अपनी ट्रेनों के इंतजार में ही कुछ लोगों का त्योहार बीत गया। आधा दर्जन से अधिक ट्रेन स्थानीय रेलवे स्टेशन पर अपने निर्धारित समय से पांच से लेकर 11 घंटे तक के विलंब से पहुंचीं। भीषण ठंड व कोहरे में असमय ट्रेनों से स्टेशन पर पहुंचने के बाद लोकल रूटों पर जाने के लिए यात्रियों ने घंटों की परेशानी झेली।

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पर्व के मद्देनजर रविवार को स्टेशन पर अपने-अपने गंतव्य को जाने के लिए बड़ी संख्या में यात्री जुटे। परिजनों के साथ सफर पर निकले लोगों को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उन्होंने पूछताछ कार्यालय के बाहर ट्रेनों की स्थिति दर्शाने वाला बोर्ड देखा। बोर्ड में कोई ट्रेन छह घंटे तो कोई 11 घंटे लेट दिखाई गई थी। रेलवे का लाउडस्पीकर ट्रेनों के आगमन की कम और विलंब होने की सूचना देता रहा। हर सूचना पर पूरे दिन अपनी-अपनी ट्रेनों की स्थिति को लेकर लोगों की धड़कनें चढ़ती-उतरती रहीं। सबसे ज्यादा विलंब से उत्सर्ग एक्सप्रेस पहुंची। अपने निर्धारित समय से यह ट्रेन लगभग 11 घंटे विलंब से पहुंची। भोर में स्टेशन पहुंचने वाले लोग शाम चार बजे पहुंचे। इसके चलते सबसे ज्यादा बिहार की ओर जाने वाले यात्री परेशान हुए। वहीं चौरीचौरा एक्सप्रेस लगभग 6 घंटा, कृषक एक्सप्रेस 3 घंटा, दादर तीन घंटा, गोदान 4 घंटा विलंबित रहीं। यही नहीं पैसेंजर ट्रेनों के इंतजार ने भी यात्रियों को खूब परेशान किया।

आटो चालकों ने उठाया लाभ

ट्रेनों की लेटलतीफी का सबसे ज्यादा लाभ डग्गामार वाहन चालकों ने उठाया। पर्व होने की मजबूरी में परिवार के साथ महानगरों से आए लोगों से मुंहमांगी कीमत वसूल करने के बाद ही वे लोगों को लोकल रूटों पर लेकर जाते देखे गए।


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