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थमाया फर्जी नियुक्ति पत्र और वेतन स्वीकृति के नाम पर ऐंठा पांच लाख

क्षेत्र के रघौली में संचालित एक निजी विद्यालय के प्रबंधक ने तीन बेरोजगारों को अपने संस्थान में नौकरी हेतु फर्जी नियुक्ति पत्र थमाया और मान्यता प्राप्त शिक्षक की तर्ज पर वेतन भुगतान हेतु दो बार में पांच लाख रुपये ऐंठ लिया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 05:10 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 05:10 PM (IST)
थमाया फर्जी नियुक्ति पत्र और वेतन स्वीकृति के नाम पर ऐंठा पांच लाख
थमाया फर्जी नियुक्ति पत्र और वेतन स्वीकृति के नाम पर ऐंठा पांच लाख

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : क्षेत्र के रघौली में संचालित एक निजी विद्यालय के प्रबंधक ने तीन बेरोजगारों को अपने संस्थान में नौकरी हेतु फर्जी नियुक्ति पत्र थमाया और मान्यता प्राप्त शिक्षक की तर्ज पर वेतन भुगतान हेतु दो बार में पांच लाख रुपये ऐंठ लिया। लगभग 13-14 वर्ष पुराने इस मामले के बाबत कोतवाली पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को प्रबंधक छविनाथ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है।

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प्रबंधक छविनाथ ने माउरबोझ के बेरोजगार राजेश चौहान और शीला चौरसिया सहित दादनपुर के बगेदू यादव को अपने संस्थान में नियुक्त किया। प्रबंधक ने राजेश को चपरासी और दो अन्य को शिक्षक पद पर नियुक्त किए जाने के बाबत नियुक्ति पत्र भी दिया हालांकि बाद मे उक्त पत्र फर्जी साबित हुआ। तीनों विद्यालय में कार्यरत हो गए। वेतन न मिलने के बाबत पूछे जाने पर वह महज आश्वासन ही देता रहा। पांच-सात वर्ष बाद उसने वेतन स्वीकृति हेतु दोनों शिक्षकों से एक-एक लाख रुपये और राजेश से पचास हजार रुपये लिया। धनराशि देने के दो-तीन वर्ष बाद भी वेतन न मिलने पर तीनों ने दोबारा दबाव बनाया। 15 अगस्त 2007 को प्रबंधक ने विद्यालय में पर्याप्त कक्ष न होने से पद सृजित न होने को वेतन न मिलने का कारण बताते हुए भवन निर्माण हेतु दो बार इन तीनों से ढाई लाख रुपये लिया। काफी समय बाद भी न वेतन मिला न भवन बना। 19 अगस्त 2010 को इस बाबत पंचायत हुई एवं प्रबंधक ने संपूर्ण राशि चुकाने हेतु समय मांगा। उक्त अवधि बीत जाने के बाद भी धनराशि न मिलने पर राजेश चौहान ने अदालत की शरण लिया।


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