ईंट-भट्ठा तले अब बुना जा रहा स्वस्थ भारत का सपना
अब इसे घोर लापरवाही कहें या सरकार की नीतियों को खुला उल्लंघन करना। यूं तो शासनीक आदेश है कि ईंट-भट्ठे आबादी से दूर स्थापित होंगे। जिससे प्रदूषण का असर सीधा उन पर नहीं पड़े परंतु यहां तो देश की तकदीर ही चिमनियों से निकलने वाली जहरीली गैस के बीच बुनी जा रही है।
जागरण संवाददाता, पलिगढ़ (मऊ) : अब इसे घोर लापरवाही कहें या सरकार की नीतियों का खुला उल्लंघन। यूं तो शासनिक आदेश है कि ईंट-भट्ठे आबादी से दूर स्थापित होंगे। ताकि प्रदूषण का असर सीधा लोगों पर नहीं पड़े परंतु यहां तो देश की तकदीर ही चिमनियों से निकलने वाली जहरीले धुएं के बीच बुनी जा रही है। हम बात कर रहे हैं रानीपुर ब्लाक के दौलसेपुर ग्रामसभा के उच्च प्राथमिक विद्यालय की। इसकी बाउंड्री से सटे ईंट-भट्ठा संचालित है। जब भट्ठा लगाया जा रहा था तभी गांव के लोगों व विद्यालय द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी, जिसे संबंधित विभाग द्वारा अनसुना कर दिया गया।
विद्यालय के अध्यापकों व कुछ बच्चों ने बताया कि धुआं में उड़ने वाला कोयले का छोटा-छोटा कण ऊपर गिरता है। कभी-कभी सांस लेने में परेशानी व दिक्कत महसूस होती है। अभी तक कोई बड़ा हादसा तो नहीं हुआ लेकिन विद्यालय के मुख्य गेट से तेजी के साथ भट्ठे के ट्रैक्टरों का आना-जाना लगा रहता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि परिषदीय विद्यालय से सटे ईंट-भट्ठा के निर्माण के लिए विभाग से एनओसी अर्थात बनाने के लिए अनुमति कैसे दी। ग्राम प्रधान सुनील गोंड ने बताया कि आश्चर्यजनक तो यह है कि शिक्षा विभाग के खंड शिक्षाधिकारी व बीएसए के अलावा प्रशासकीय अधिकारी भी निरीक्षण करने आते हैं। ऐसे में उनकी निगाह क्यों नहीं पड़ती और शिकायत करने पर भी ध्यान क्यों नहीं देते। ग्राम प्रधान ने बताया कि बच्चों के जिदगी से बड़ा व महत्वपूर्ण ईंट-भट्ठा है। इसके कारण अधिकारियों द्वारा लोगों के शिकायत को नजर अंदाज कर दिया जाता है। प्रधान ने कहा कि अब इसकी वीडियोग्राफी बनाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संपर्क कर के जिला प्रशासन के नजरअंदाजी की शिकायत यथाशीघ्र की जाएगी।