हवि की सुगंध से सुवासित हो उठीं दिशाएं, चतुर्दिक दिव्य वातावरण
ऋतुओं के संधिकाल में दैवीय आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों के जागरण के महापर्व वासंतिक नवरात्र की महानवमी। चहुंओर छाई रही भक्ति की स्निग्धता।
जागरण संवाददाता, मऊ : ऋतुओं के संधिकाल में दैवीय, आध्यात्मिक व भौतिक शक्तियों के जागरण के महापर्व वासंतिक नवरात्र की महानवमी। चहुंओर छाई रही भक्ति की स्निग्धता। छलकती रही श्रद्धा, बहता रहा आस्था का ज्वार। लाकडाउन के चलते शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा के मंदिरों में भक्त तो नहीं पहुंचे परंतु घर-घर में श्री दुर्गा सप्तशती के मंत्रपाठ 'या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:' गूंजते रहे। मंदिरों में केवल पुजारियों ने मां का पूजन-अर्चन कर अनुष्ठान की पूर्णाहुति की। घर-घर में हुए हवन-पूजन के साथ पूर्णाहुति से उठे दिव्य हवि की सुगंध से दिशाएं सुवासित हो उठीं। मानों हर घर में अपूर्व ऊर्जा, अपार शक्ति का स्त्रोत फूट पड़ा हो। आम हो या खास, सभी मां के चरणों में श्रद्धावनत थे।
नौ दिनों से चले आ रहे अनुष्ठान गुरुवार को पूर्ण हो गया। कोरोना वायरस के चलते फैली महामारी से बचाव के लिए सरकार द्वारा किए गए लाकडाउन के कारण इस बार कन्यापूजन के आयोजन तो नहीं हुए परंतु अनेक लोगों ने इसमें आने वाले खर्च को महामारी से लड़ने में दानस्वरूप सरकार के खातों में भेजा। केवल प्रतिपदा और महाष्टमी का व्रत रखने वालों ने हवन-पूजन के पश्चात पारण किया कितु नौ दिवसीय व्रतधारी श्रद्धालु शुक्रवार को अन्नाहार ग्रहण कर व्रत का पारण करेंगे। नवरात्र का अंतिम दिन होने के चलते हर घर में श्रद्धा, आस्था का वातावरण था, पूरा माहौल देवीमय रहा। भक्तों ने घरों में हवन-पूजन कर दिव्य औषधियुक्त सुगंधित वनस्पतियों व व्यंजनों की आहुति दी। व्रत अनुष्ठान का अंतिम दिवस होने के नाते साधक पूरे दिन व्यस्त रहे। हर घर से हवन-पूजन के बाद हवि की दिव्य सुगंध यज्ञकुंड से उड़ रहे पवित्र धुएं के साथ सभी की घ्राणेंद्रियों में पहुंचकर उन्हें दैवीय शक्ति की दिव्य अनुभूति करा रहे थे। पुरोहितों ने फोन पर ही करा दिया हवन
जासं, दोहरीघाट (मऊ) : नवरात्र के अंतिम दिन घर-घर में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना होती रही। लाकडाउन के चलते पूर्णाहुति यज्ञ के लिए लोगों ने संचार माध्यमों का सहारा लिया। कर्मकांडी ब्राह्मणों ने आनलाइन ही मंत्रोच्चार कर यजमानों के घर में हवन पूर्ण कराया। बहुत से लोगों ने स्वत: ही पुस्तकों की सहायता से सारे कर्मकांड करते हुए हवन-पूजन कर लिया। चारों तरफ की दिशाएं सुगंधित हो गई थीं। अंतर्राष्ट्रीय मातेश्वरी महाधाम में सतगुरु जी महाराज नौ दिन की साधना के बाद हवन पूजन कर मां आदिशक्ति को प्रसन्न होने की प्रार्थना किया तथा घरों में पूजा करने वाले मातेश्वरी भक्तों का कल्याण करने का निवेदन किया।