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अधूरा है राजकीय पालीटेक्निक कालेज का निर्माण

जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल के अंतिम दिनों क्षेत्र के

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 09:03 PM (IST)
अधूरा है राजकीय पालीटेक्निक कालेज का निर्माण
अधूरा है राजकीय पालीटेक्निक कालेज का निर्माण

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल के अंतिम दिनों क्षेत्र के युवाओं की घर के समीप ही राजकीय पालीटेक्निक कालेज की सुविधा उपलब्ध होने की बंधी आस भाजपा सरकार के अवसान काल के नजदीक आने के बाद भी अधूरी है। तहसील क्षेत्र के पीवाताल में अब भी राजकीय पालीटेक्निक कालेज का भवन निर्माणाधीन है।

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सपा शासनकाल में तत्कालीन विधायक सुधाकर सिंह के प्रस्ताव पर वर्ष 2016 में पीवाताल में राजकीय पालीटेक्निक कालेज की स्थापना को स्वीकृति मिली। कालेज के लिए राजस्व विभाग ने जमीन तो चिह्नित किया पर ताल क्षेत्र में भूमि होने के चलते तकनीकी कारणों से राजकीय प्राविधिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद सहित राजकीय पालीटेक्निक कालेज मऊ के उच्चाधिकारियों ने इसे अस्वीकृत कर दिया।

भाजपा सरकार ने 31 जनवरी 2020 को इस कालेज के लिए 17 करोड़ 55 लाख 85 हजार रुपये का बजट आवंटित किया। शासन के निर्देश पर राजस्व विभाग ने इस कालेज की स्थापना के लिए नए सिरे से भूमि की तलाश प्रारंभ किया। अंतत: विभाग ने ग्राम सभा के आधिपत्य की 2.5 एकड़ से अधिक जमीन चिह्नित किया। भूमि अधिग्रहण के पश्चात कार्य प्रारंभ हुआ तो कोविड संक्रमण काल के चलते ठप हो गया। जमीन ताल क्षेत्र में होने के चलते बरसात के दिनों में पूरा स्थल जलमग्न हो जाने के कारण अभी तक चहारदीवारी एवं प्रशासनिक भवन की दीवार ही खड़ी हो सकी है। मंद गति से हो रहे निर्माण से स्पष्ट है कि परियोजना पूर्ण होने में एक वर्ष से अधिक का समय लगेगा।

यह है परियोजना

प्रत्येक शाखा (ट्रेड) के लिए पृथक प्रयोगशाला एवं वर्कशाप, बेसिक वर्कशाप, प्रत्येक ट्रेड के लिए अध्ययन कक्ष एवं सभागार। प्रधानाचार्य कक्ष, लाइब्रेरी एवं वाचनालय, कार्यालय एवं शिक्षक कक्ष। छात्रावास एवं शिक्षक आवास।

आधारभूत समस्या

यह पालीटेक्निक कालेज आबादी एवं मुख्य सड़क से काफी दूर ताल क्षेत्र में है। आवागमन के लिए महज 10 फीट चौड़ा खड़ंजा मार्ग है। बरसात के दिनों में सांप एवं जलीय जंतु परिसर में भ्रमण करते हैं। करोड़ों की यह परियोजना किसी सड़क या बाजार के समीप होती तो निश्चित ही तमाम समस्याएं स्वत: दूर हो जातीं।


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