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फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने में तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल भी फंसे

जांच-पड़ताल को दरकिनार कर, तथ्यों को ताख पर रख 42 लोगों को फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में तत्कालीन तहसीलदार मुहम्मदाबाद गोहना, तत्कालीन लेखपाल और कानूनगो भी फंस गए हैं। उनके समेत सभी लाभार्थियों पर गाज गिरी है। मामला थाना रानीपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत दौलसेपुर गांव का है। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर ग्राम प्रधान बने सुनील गोंड की कुर्सी भी खतरे में पड़ गई है। लाभान्वित परिवारों के कई युवा उन्हीं प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 06:24 PM (IST)
फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने में तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल भी फंसे
फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने में तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल भी फंसे

जागरण संवाददाता, मऊ : जांच-पड़ताल को दरकिनार कर, तथ्यों को ताख पर रख 42 लोगों को फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में तत्कालीन तहसीलदार मुहम्मदाबाद गोहना, तत्कालीन लेखपाल और कानूनगो भी फंस गए हैं। उनके समेत सभी लाभार्थियों पर गाज गिरी है। मामला थाना रानीपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत दौलसेपुर गांव का है। फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर ग्राम प्रधान बने सुनील गोंड की कुर्सी भी खतरे में पड़ गई है। लाभान्वित परिवारों के कई युवा उन्हीं प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।

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दौलसेपुर गांव के निवासी 42 लोगों पर आरोप है कि पिछड़ी कहार जाति के होते हुए भी उन्होंने गोंड जाति के नाम पर कूट रचित प्रपत्रों के आधार पर तहसील प्रशासन के मिलीभगत से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र बनवाया था। आरोपितों में ग्राम प्रधान भी शामिल हैं। हाल यह है कि अनुसूचित जनजाति के कोटे से कुछ लोग नौकरी भी कर रहे हैं। इस बात की जानकारी होने पर गांव के मिथिलेश पांडेय ने जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति के यहां गांव के कहार जाति के लोगों के जाति सत्यापन के लिए आवेदन किया था, इस पर कोई कार्रवाई नहीं होते देख उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति ने विधिवत जांच कर बीते 05 फरवरी 2018 को रिपोर्ट दिया कि इस गांव के निवासी आरोपित लोग कहार जाति के हैं, गोंड जाति के नहीं। ये लोग पिछड़ी जाति में आते हैं। इस पर आरोपित अपने बचाव में मामले को मंडलीय अपीलीय फोरम आजमगढ़ ले गए। वहां से फोरम ने जांच के बाद 23 अप्रैल 2018 को जिला स्तरीय जाति सत्यापन समिति की रिपोर्ट को सही माना। उन लोगों की अपील को निस्तारित कर दिया। इस पर वादी मिथिलेश पांडेय ने मुख्य दंडाधिकारी की अदालत में जाकर फर्जी प्रमाण पत्र धारकों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करने की गुहार लगाई। साक्ष्यों को देखते हुए सीजेएम अदालत ने बीते एक नवंबर को थाना रानीपुर को मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश दिया। अदालत के आदेश पर थाना रानीपुर ने तत्कालीन तहसीलदार, कानूनगो व लेखपाल और वर्तमान ग्राम प्रधान समेत 42 आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है।


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