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पात्र गृहस्थी में शिक्षक, वाहन चालक व भट्ठा स्वामी भी

घोसी (मऊ) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पात्र गृहस्थी के राशन कार्डों की जांच भले ही प्रशासन शुरू कराने जा रहा है लेकिन पंचायत चुनाव से पहले यह निर्णय पात्रों के लिए तो बेहतर है लेकिन राजनीतिक उठापटक में अलग ही पैतरेबाजी शुरू हो जाएगी। तमाम ऐसे राशनकार्ड धारक हैं जो सरकारी शिक्षक वाहन चालक व भट्ठा स्वामी भी है। यही नहीं यूनिटों में परिवार के सदस्यों का धर्मपरिवर्तन भी कर दिया गया है। अब बात यह उठती है कि जांच प्रक्रिया के बाद क्या यह सब खेल खत्म हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 04:39 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 04:39 PM (IST)
पात्र गृहस्थी में शिक्षक, वाहन चालक व भट्ठा स्वामी भी
पात्र गृहस्थी में शिक्षक, वाहन चालक व भट्ठा स्वामी भी

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पात्र गृहस्थी के राशन कार्डों की जांच भले ही प्रशासन शुरू कराने जा रहा है लेकिन पंचायत चुनाव से पहले यह निर्णय पात्रों के लिए तो बेहतर है लेकिन राजनीतिक उठापटक में अलग ही पैतरेबाजी शुरू हो जाएगी। तमाम ऐसे राशनकार्ड धारक हैं जो सरकारी शिक्षक, वाहन चालक व भट्ठा स्वामी भी है। यही नहीं यूनिटों में परिवार के सदस्यों का धर्मपरिवर्तन भी कर दिया गया है। अब बात यह उठती है कि जांच प्रक्रिया के बाद क्या यह सब खेल खत्म हो जाएगा।

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उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो स्थानीय ब्लाक की ग्राम पंचायत पिढ़वल की अंत्योदय सूची में बीते वर्ष कुल 71 परिवार अंकित थे पर अब यह संख्या न जाने कैसे 69 हो गई है। इस गांव में एक भी परिवार अल्पसंख्यक वर्ग का न होने के बावजूद चंद्रकला के परिवार के मुखिया के रूप में मुहम्मद जमाल का अंकित नाम उसके धर्म परिवर्तन का प्रमाण है। अब आपूर्ति विभाग ही इसका जवाब दे। जनसंख्या के अनुसार इस गांव की यूनिट 2800 होनी चाहिए पर अब भी संपूर्ण यूनिट 2200 पर सिमटी है। तहसील अंतर्गत बड़रांव ब्लाक की ग्राम पंचायत पीवाताल में एक उचित दर दुकान से संबंद्ध 98 परिवारों में से सावित्री, विमली, शनिचरी, रमावती, चंदा, शांति एवं ज्योतिया के कार्ड में मात्र एक ही नाम अंकित है। इससे इतर कमोबेश हरेक ग्राम पंचायत में तमाम पात्रों के नाम सूची से बाहर हैं जबकि ईंट भट्ठा, हार्वेस्टर, ट्रक स्वामी एवं शासकीय शिक्षक की पत्नियां या वह स्वयं बतौर मुखिया अंकित हैं। एक अन्य वास्तविकता यह की तमाम गांवों में परिवार के सदस्यों के नाम गायब हैं और सूची में अन्य स्थानों के नागरिकों का नाम अंकित कर दिया गया है। आपूर्ति विभाग भले ही भूलवश ऐसा होने की बात करे पर सुधार के लिए किए गए आवेदन पर कार्रवाई न होना एक सवाल है।

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यह है नुकसान :

दरअसल आवासीय योजना, पेंशन योजना, शौचालय योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना सहित मनरेगा के तहत व्यक्तिगत पोखरी खोदाई एवं मुफ्त पौधरोपण सहित अन्य तमाम योजनाओं का लाभ इन कार्डधारकों को ही दिया जाता है। सूची में अपात्रों के नाम अंकित होने से वास्तविक गरीब इन योजना का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।

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वर्जन

खंड विकास अधिकारी एवं उनके कार्यालय के कर्मचारियों सहित आपूर्ति विभाग को कड़ा निर्देश दिया गया है। सूची में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ ही हरेक वास्तविक पात्र का नाम अंकित होगा, इसे सुनिश्चित किया जाएगा।

-आशुतोष राय एसडीएम घोसी


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