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किया तर्पण-अर्पण, नदी तट पर जुटे श्रद्धालु

अपने दिवंगत पूर्वजों को भी श्रद्धा अर्पित करने का भारतीय संस्कृति का अनूठा पर्व पितृ-विसर्जन सोमवार को शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार पूरे जनपद में आस्था, श्रद्धा व भक्ति के वातावरण में मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 04:51 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 08:54 PM (IST)
किया तर्पण-अर्पण, नदी तट पर जुटे श्रद्धालु
किया तर्पण-अर्पण, नदी तट पर जुटे श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, मऊ : अपने दिवंगत पूर्वजों को भी श्रद्धा अर्पित करने का भारतीय संस्कृति का अनूठा पर्व पितृ-विसर्जन सोमवार को शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार पूरे जनपद में आस्था, श्रद्धा व भक्ति के वातावरण में मनाया गया। इस दौरान पुरखों को सुस्वादु व्यंजनों के साथ तर्पण-अर्पण करने के लिए नदियों व पवित्र सरोवरों के तटों पर श्रद्धालुजनों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। जो लोग नदियों तक नहीं जा सके उन्होंने अपने घर के आंगन, द्वार या छतों पर पितरों को तिलांजलि देते हुए ¨पडदान किया तथा सुस्वादु व्यंजन समर्पित किए। इसी के साथ ही पितृ-पक्ष का शुद्धकयुक्त यह पखवारा संपन्न हो गया।

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अपने पितरों को ¨पडदान करने, तिलांजलि देने के लिए प्रत्येक सनातन धर्मावलंबी के घर में सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई थीं। पूरे घर की साफ-सफाई कर महिलाओं ने पूर्वजों की पसंद के अनुसार विविध प्रकार के व्यंजन बनाए। पुरुषों ने बाल-दाढ़ी मुड़ाकर श्वेत वस्त्र धारण कर, शुद्ध मन से उनका तर्पण किया। पलाश के पत्तों की दोनी बनाकर उसमें व्यंजनों को निकालकर पूर्वजों का स्मरण करते हुए उन्हें जल के साथ श्रद्धापूर्वक समर्पित किया गया। आत्मा की नश्वरता के सिद्धांत के अनुसार मान्यता है कि काक वेश में आकर पितृ-जन अपने वंशजों की श्रद्धा ग्रहण करते हैं और उन्हें आशीष देते हैं। मध्याह्न के पूर्व इस कार्य को पूर्ण कर पितरों को पितृलोक के लिए विदा कर दिया जाता है। नगर में तमसा तट पर बहुत से श्रद्धालुओं ने अपने पुरखों के लिए ¨पडदान किया।


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