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स्वामी विवेकानंद ने विश्व को समझाया धर्म का मर्म

स्वामी विवेकानंद के मन में पीड़ित मानवता राष्ट्र अध्यात्म और सनातन धर्म को लेकर बचपन से ही एक उत्कंठा थी जिसे लेकर वे छात्र जीवन से ही बेचैन थे उनकी इसी जिज्ञासा ने उन्हें नरेंद्रनाथ से स्वामी विवेकानंद बनाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 06:10 AM (IST)
स्वामी विवेकानंद ने विश्व को समझाया धर्म का मर्म
स्वामी विवेकानंद ने विश्व को समझाया धर्म का मर्म

जागरण संवाददाता, मऊ : स्वामी विवेकानंद के मन में पीड़ित मानवता राष्ट्र, अध्यात्म और सनातन धर्म को लेकर बचपन से ही एक उत्कंठा थी, जिसे लेकर वे छात्र जीवन से ही बेचैन थे, उनकी इसी जिज्ञासा ने उन्हें नरेंद्रनाथ से स्वामी विवेकानंद बनाया। प्रखर भारतीय मेधा के इस युवा सन्यासी ने शिकागो में और उसके बाद भी आजीवन पूरे विश्व को धर्म का मर्म समझाया। युवा सन्यासी की आभा से सनातन धर्म भी दीप्त हो उठा। यह बातें विचार प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष ने कही। वे स्वामी विवेकानंद जयंती की पूर्व संध्याप पर नगर के आरएस पैलेस में आयोजित समारोह में बोल रहे थे।

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'राष्ट्रीय बोध के क्षेत्र में स्वामी विवेकानंद का योगदान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने स्वामी जी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला। कहा कि शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में जब इस युवा सन्यासी ने बोलना शुरू किया तो पूरी दुनिया मंत्रमुग्ध हो सुनती रही, एकटक आंखों से देखती रही। 30 साल का वह युवा जब स्वदेश लौटा तो पूरा विश्व उसके चरणों में बिछा जा रहा था। स्वदेश लौटकर उन्होंने संपूर्ण मानव जाति के कल्याण और राष्ट्र के उत्थान के लिए युग परिवर्तकारी कार्य किए।

विशिष्ट अतिथि अंतरराष्ट्रीय गीता प्रवचनकर्ता अमेरिका स्थित इंटरनेशनल गीता गुरुकुल फाउंडेशन मिशिगन के संस्थापक अध्यक्ष योगी आनंदजी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को पढ़ कर नहीं, उनको जी कर ही जाना जा सकता है। उन्होंने आजीवन परिव्राजक का जीवन व्यतीत किया। वे काल के भाल पर कुंकुम उकेरने वाले वे सिद्धपुरुष हैं। नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग प्रहरी, अध्यात्म दर्शन और संस्कृति को जीवंतता देने वाली संजीवनी बूटी, वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु हैं। स्वामी विवेकानन्द आज भी अधिकांश युवाओं के आदर्श हैं। अध्यक्षता आयोजन समिति के संरक्षक चंद्रशेखर अग्रवाल उर्फ चंदू बाबू ने किया। आनंद कुमार ने सबका स्वागत किया। अतिथि परिचय देवेंद्र मोहन सिंह ने कराया। संयोजक मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा ऐसे राष्ट्रपुरुष के नाम पर आयोजन कर गौरव की अनुभूति होती है। आरंभ में लिटिल फ्लावर स्कूल की छात्राओं ने वंदेमातरम गीत प्रस्तुत किया। अमृत पब्लिक स्कूल के छात्र अभिनव यादव ने स्वामीजी के जीवन पर प्रकाश डाला। अंत में राम स्वरूप भारती इंटर कालेज की छात्राओं ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। संचालन मानसी अग्रवाल ने किया। डा.गंगासागर सिंह, डा.शर्वेश पांडेय, अधिवक्ता हरिद्वार राय, डा.रामगोपाल गुप्ता, डा.सीपी राय, पवन प्रधान, उत्तम सिंह, देवेंद्र मोहन सिंह, सचींद्रनाथ सिंह, सुनील कुमार दुबे सोनू, ज्ञानप्रकाश सिंह, कमलेश सिंह, राजा आनंद ज्योति सिंह, योगेंद्र सिंह, अभिषेक खंडेलवाल, तुषारकांत सिंह, पंकज तिवारी आदि मौजूद थे।

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प्रचार विभाग की प्रदर्शनी रही आकर्षण का केंद्र

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग की तरफ से स्वामी विवेकानंद जयंती समारोह में पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें मुख्य रूप से नागरिकता संशोधन कानून एवं भविष्य का भारत नामक पुस्तकें उपलब्ध थीं। जो लोगों आकर्षण का केंद्र रहीं।


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