कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत : मौलाना नसीम
जागरण संवाददाता वलीदपुर (मऊ) मजहब-ए-इस्लाम में मनाया जाने वाला बकरीद त्योहार कुर्बानी के
जागरण संवाददाता, वलीदपुर (मऊ) : मजहब-ए-इस्लाम में मनाया जाने वाला बकरीद त्योहार कुर्बानी के लिए प्रेरित करता है। इस मौके पर अल्लाह की राह में पेश की जाने वाली कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलैह सलाम की सुन्नत है। यह बात मुहम्मदाबाद गोहना के अतरारी गांव निवासी मौलाना नफीस अहमद कासमी ने गुरुवार को कही।
उन्होंने कहा कि अल्लाह अपने बंदों का इम्तिहान लेता है। इसके तहत अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से कहा कि ''ऐ इब्राहिम तुम्हें जो दुनिया में जो सबसे अजीज है उसे मेरी राह में कुर्बान करो''। अल्लाह-त-आला की इस बात पर अमल करने के लिए हजरत इब्राहिम ने तुरंत अपने इकलौते पुत्र हजरत इस्माइल अलै. को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का फैसला किया। अपनी आंखों पर पंट्टी बांध कर बेटे को कुर्बानी के लिए जमीन पर लिटा दिया और बेटे इस्माइल के गर्दन पर छुरी फेरने लगे। काफी प्रयास के बाद भी छुरी गर्दन पर नहीं चल रही थी। इसी बीच अचानक छुरी चली और जब आंखों से पंट्टी हटाकर देखा तो हजरत इस्माइल के स्थान पर दुंबा जबह हुआ था। यह देख हजरत इब्राहिम सोचने लगे, कि मैं अपने बेटे की गर्दन पर छुरी फेर रहा था और छुरी दुंबे पर छुरी चल गई। इसी बीच ़गैब से आवाज आई ''ऐ इब्राहिम तुम मेरे इम्तिहान में पास हो गए''। इसलिए कि मेरे हुक्म पर तुम अपने बेटे इस्माइल को मेरी राह में कुर्बानी को तैयार हो गए। मौलाना ने कहा कि बकरीद पर्व इसी सुन्नते इब्राहिमी की याद को ताजा करता है।