धड़ल्ले से जलाई जा रही पराली
न प्रदूषण का खौफ न दंड का भय। धड़ल्ले से जलाई जा रही धान की पराली। तमाम सरकारी फरमानों को धता बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किसान धान की पराली जला रहे हैं।
जासं, थलईपुर (मऊ) : न प्रदूषण का खौफ न दंड का भय। धड़ल्ले से जलाई जा रही धान की पराली। तमाम सरकारी फरमानों को धता बताते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किसान धान की पराली जला रहे हैं। यद्यपि पराली जलाने पर आर्थिक दंड का प्रावधान भी किया गया है कितु इसका कोई प्रभाव होता नहीं दिख रहा है। जब समाचार पत्रों एवं अन्य संचार माध्यमों से इससे होने वाले नुकसान के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। देश की राजधानी सहित कई शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक जा पहुंचा है। इसके कारण वहां अनेक तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गई है। आमजन को सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पराली जलाने को प्रतिबंधित कर दिया है लेकिन किसान इस बात को समझने को तैयार नहीं है। ऐसे में अब देखना यह है कि किस तरह इस कार्य को रोका जाता है।