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पुआल जलाने पर ही रोक आसान नहीं एकत्र करना

उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार पुआल जलाने प्रतिबंधित है। पुआल न जलाने पर प्रोत्साहन राशि के बाबत चुप्पी है। बदलते ग्रामीण रहन-सहन में पुआल निष्प्रयोज्य है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 08:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 08:13 PM (IST)
पुआल जलाने पर ही रोक
आसान नहीं एकत्र करना
पुआल जलाने पर ही रोक आसान नहीं एकत्र करना

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार पुआल जलाने प्रतिबंधित है। पुआल न जलाने पर प्रोत्साहन राशि के बाबत चुप्पी है। बदलते ग्रामीण रहन-सहन में पुआल निष्प्रयोज्य है। बस कंपोस्ट खाद बनाना ही एकमात्र विकल्प है। इस हेतु खेत से एकत्रित करना आसान नहीं है। ऐसे में पुआल को लेकर किसानों की स्थिति ऐसी की समझ में नहीं आ रहा क्या करें।

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पूर्व में गेहूं की पैदावार कम होती थी और पशुपालन अधिक होता था। दुधारू जानवर ही नहीं वरन हर किसान के दरवाजे की शान जोताई के लिए बैल होते थे। नाद की संख्या के अनुसार किसान की जोत का अंदाजा लगता था। उन दिनों किसान जानवरों को चारे के रूप में पुआल खिलाते थे। अब जानवर रहे नहीं। जो बचे हैं वह भूसा खाने के आदी हो चुके हैं। पुआल को मुंह तक नहीं लगाते है। हर किसान के दरवाजे पर पहले मंड़ई होती थी। इसे बनाने के लिए किसान पुआल का प्रयोग करते थे। अब मंड़ई का स्थान कटरैन ने ले लिया है। कंबाइन मशीन से गेहूं की कटाई होने के चलते पुआल से रस्सी बनाने की आवश्यकता भी न रही।

अलबत्ता जाड़े के दिनों में किसान इसे पशुशाला की कच्ची फर्श पर डालते हैं। ऐसे में पुआल की महत्ता कमोबेश शून्य हो चुकी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पराली या पुआल जलाने पर रोक लगाने के साथ ही किसानों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने का निर्देश दिया है। प्रशासन पुआल जलाने पर मुकदमा दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई तो कर रहा है पर न्यायालय के आदेशानुसार किसानों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने के बाबत मौन है। खाद बनाना सर्वोत्तम उपाय, पर श्रमिकों की समस्या

पुआल से कंपोस्ट बनाना सर्वोत्तम है पर हार्वेस्टर से धान की कटाई के बाद खेत में पड़े अवशेष को एकत्रित करना आसान नहीं है। खेती के इस व्यस्त समय में पुआल हटाने को श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। छोटी जोत के किसान पूरे परिवार के संग पुआल इकट्ठा करने में लगे हैं पर बड़ी जोत के किसानों के समक्ष भारी मुश्किल है। समझ से परे है कि किसान करें तो क्या करें।

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Xह्नह्वश्रह्ल;पुआल में नाइट्रोजन, पोटाश एवं पुास्फोरस के साथ ही जिक, कापर, कैल्शि्यम, मैगनिशियम एवं अयारन सहित तमाम आर्मी कार्बन होते हैं। पुआल को खाद गड्ढे में छह इंच की सतह बनाकर डालते जाएं और पानी के छिड़काव के साथ ही थोड़ी सी यूरिया छिड़कते रहें। सारा पुआल इसी विधि से कंपोस्ट खाद बाने को गड्ढे में डाल दें। कुछ ही दिनों बाद यह पुआल कंपोस्ट खाद बन जाएगा।Xह्नह्वश्रह्ल;

-एसपी श्रीवास्तव उप कृषि निदेशक मऊ


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