सप्तशती के मंत्रों से वातावारण सात्विक, देवीमय वातावरण
सप्तशती के मंत्रों से वातावारण सात्विक देवीमय वातावरण
जागरण संवाददाता, मऊ : जगतजननी जगदंबा की अर्चना कर आदिशक्ति के संधान को वासंतिक नवरात्र में तमाम अनुष्ठान आरंभ हैं। सर्वत्र गूंजते दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से पूरा वातावरण सात्विक हो चला है। नवरात्र के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं ने मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का पूजन-अर्चन किया। कोरोना के कारण मां के मंदिरों के कपाट बंद होने के कारण घरों में देवालय बने हुए हैं। इधर घरों, देवालयों व निर्जन स्थानों पर साधकों के अन्यान्य धार्मिक, सात्विक, तामसिक व राजसिक अनुष्ठान चल रहे हैं। चारों दिशाओं के आदिशक्ति दुर्गामय हो जाने से प्रत्येक व्यक्ति श्रद्धा के वशीभूत आस्था के संसार में गोते लगाता ²ष्टिगोचर हो रहा है।
सुबह-शाम आरती, दुर्गा पाठ एवं जयकारों की गूंज के बीच नवरात्र का दूसरा दिन अपने पूरे आध्यात्मिक एवं पारंपरिक लय के साथ गुजरा। मां दुर्गे के चरणों में शीश नवा एवं दर्शन पूजन कर लोग शुभ मनोकामनाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगते रहे। सभी साधक, श्रद्धालु व मंदिरों के पुजारी पूरे विश्व में महामारी की चपेट में लिए कोरोना वायरस के शमन की प्रार्थना करते रहे। ऋतुओं के पावन संधिकाल में पूरी सात्विकता के साथ लोग विविध प्रकार के अनुष्ठानों में जुट गए हैं। सात्विक, राजसिक और तामसिक तीनों प्रकार की साधनाएं चल रही हैं। ज्यादातर घरों में मुख्यत: दुर्गा सप्तशती पाठ, गायत्री अनुष्ठान-साधना एवं वाम तंत्र की साधनाएं चल रही हैं। दिन में सप्तशती के मंत्र तो शाम को देवी पचरा हर घर-आंगन में गूंज रहे हैं।