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211 ग्राम पंचायतों में प्राइवेट फर्मों को लुटाए 16 करोड़ रुपये

मनरेगा यानि गरीबों को गांव में ही रोजगार। केंद्र सरकार की यह सोच है कि गांव के जो गरीब शहरों में कमाने के लिए जाते हैं उन्हें उनके गांव में ही रोजगार देकर शहरों की तरफ बढ़ रही भीड़ को नियंत्रित किया जाए परंतु जिला प्रशासन को गरीबों की नहीं बल्कि अमीरों पर मेहरबान है। टॉप टू बाटम तक फैले कमीशनखोरी के जाल में केंद्रीय योजना सिमट सी गई है। प्रशासनिक अनियमितता की गवाही इनके आंकड़े ही दे रहे हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में रविवार तक कुल 211 ग्राम पंचायतों में केंद्र सरकार के मानक तार-तार किए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 06:26 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 06:26 PM (IST)
211 ग्राम पंचायतों में प्राइवेट फर्मों को लुटाए 16 करोड़ रुपये
211 ग्राम पंचायतों में प्राइवेट फर्मों को लुटाए 16 करोड़ रुपये

जागरण संवाददाता, मऊ : मनरेगा यानि गरीबों को गांव में ही रोजगार। केंद्र सरकार की यह सोच है कि गांव के जो गरीब शहरों में कमाने के लिए जाते हैं उन्हें उनके गांव में ही रोजगार देकर शहरों की तरफ बढ़ रही भीड़ को नियंत्रित किया जाए परंतु प्रशासन गरीबों की नहीं बल्कि अमीरों पर मेहरबान है। 'टॉप टू बाटम' तक फैले कमीशनखोरी के जाल में केंद्रीय योजना सिमट सी गई है। प्रशासनिक अनियमितता की गवाही इनके आंकड़े ही दे रहे हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में रविवार तक कुल 211 ग्राम पंचायतों में केंद्र सरकार के मानक तार-तार किए गए हैं। इसके लिए हजारों की तादाद में गरीब मजदूरों के मुंह से उनके हक का निवाला तक छीन लिया गया है। ग्राम पंचायतों में गरीब जाबकार्ड धारकों को काम देकर मजदूरी देने के बजाय प्राइवेट फर्मों के नाम पर करोड़ों रुपये लुटा दिए गए।

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वित्तीय वर्ष की शुरूआत में ही लोकसभा चुनाव के चलते सभी कार्यों पर रोक लगी हुई थी परंतु मनरेगा चल रही थी। इसका फायदे उठाते हुए इससे जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों से लगायत ग्राम पंचायतों ने दुरुपयोग किया। इस दौरान कच्चे कामों के बजाय पक्के कामों को तरजीह दी गई। धड़ाधड़ फाइलें ब्लाकों पर पहुंची और जेनरेट भी हुई। इसमें ईंट, इंटरलाकिग ईंट, ह्यूमपाइप, सीमेंट, गिट्टी, बालू आदि की जमकर खरीद कागजों पर की गई। ईंट-भट्ठा से लगायत बिल्डिग मैटेरियल्स की दुकानों की बिल बड़े पैमाने पर लगाई गई। इसका विपरीत प्रभाव यह रहा कि गांव के जाबकार्ड धारक मजदूरों को काम ही नहीं मिला। इसके बदले ग्राम पंचायतें प्राइवेट फर्मों पर मेहरबानी लुटाती रहीं। इतना ही नहीं पिछले पक्के कामों का भी इस वर्ष भुगतान कराया जा रहा है। इसका नतीजा रहा कि जनपद के कुल 675 ग्राम पंचायतों में से 211 ग्राम पंचायतों में 16 करोड़ रुपये प्राइवेट फर्मों को लुटा दिए गए। इसमें जहां रानीपुर में एक तरफ से गांवों को मैटेरियल मद के भुगतान किए गए तो रतनपुरा में भी केंद्र सरकार के मानक तार-तार हुए। अनियमितता करने में न तो गरीबों की हाय लगने का और नहीं प्रशासनिक कार्रवाई का डर दिखा। जब दैनिक जागरण ने इस अनियमितता को प्रमुखता से उठाया तो विकास खंडों में खलबली मच गई। अब सभी विकास खंडों में खंड विकास अधिकारी थोड़ी-थोड़ी धनराशि का डोंगल लगाकर पेमेंट कर रहे है। अगर यही हाल रहा तो दो-तीन दिन में केंद्र सरकार के मानक 60:40 के रेशियो को जनपद पार कर जाएगा। इनसेट--

अपने कामों का सत्यापन खुद कर रहे प्रधान

मनरेगा के सामग्री मद में जनपद में हुई बड़े पैमाने पर अनियमितता उजागर होने के बाद भी प्रशासन बैकफुट पर है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय संरक्षण दे रहा है। सच्चाई यह है कि प्राइवेट फर्मों के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के खेल का सत्यापन खुद जिम्मेदार प्रधान ही कर रहे हैं। अधिकारी उन्हीं से कराए गए कार्यों की फोटो मंगाकर कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं। केंद्र सरकार की गाइडलाइन को तार-तार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों सहित ग्राम प्रधानों पर कार्रवाई करने के बजाय प्रशासन खुद उन्हें इससे बाहर निकलने के उपाय सुझा रहा है। अब ऐसे में प्रधानों द्वारा किए जा रहे सत्यापन कार्य व प्रशासन की मंशा पर सवाल भी उठने लगे हैं। इनसेट--

फिर शुरू हुआ शहरों की ओर पलायन

मनरेगा की मंशा को दरकिनार करके भारी कमीशनखोरी कर अमीरों को लाभ देने के चलते गांव का गरीब एक बार फिर प्रशासनिक अनियमितता का शिकार हो गया है। इस वर्ष अभी तक नाम मात्र मजदूरों को ही रोजगार मिला है। दो वर्षों से सामग्री मद के भुगतान पर मेहरबान प्रशासन गरीबों को रोजगार देने में विफल साबित हुआ है। इसी का नतीजा है कि जनपद के भीटी, मुंशीपुरा, मिर्जाहादीपुरा चौक पर इस मनरेगा युग में भी मजदूरों की मंडी सजती है। जबकि आए दिन मनरेगा के जिम्मेदार जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी सहित बीडीओ भी इसी रास्ते से रोजाना रू-ब-रू होते हैं। प्रशासन के अमीरों पर मेहरबानी का आलम यह हो गया है कि एक बार फिर कामगार गरीब शहरों की ओर पलायित करने को विवश हो रहा है। प्वाइंटर--

45.07 करोड़ कुल भुगतान

16.01 करोड़ सामग्री मद में लूटाई गई धनराशि

29.06 करोड़ श्रम मद में भुगतान इनसेट--

ब्लाकवार 60:40 रेशियो को तोड़ने वाली ग्राम पंचायतों की सूची

ब्लाक - मानक तोड़ने वाले गांवों की संख्या - कुल ग्राम पंचायतें

1- बड़रांव - 14 - 72

2- दोहरीघाट - 18 - 74

3- फतहपुर मंडाव - 23 - 79

4- घोसी - 17 - 72

5- कोपागंज - 21 - 81

6- मुहम्मदाबाद गोहना - 13 - 83

7- परदहां - 11 - 51

8- रानीपुर - 61 - 89

9- रतनपुरा - 33 - 77


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