ग्रामीण सड़कों पर नहीं चल पाई रोडवेज की बसें
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से ग्रामीण इलाकों और जटिल रास्तों पर भी रोडवेज बस चलाने का वादा जोर-शोर से किया गया था, लेकिन नई सरकार को बने एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया और ग्रामीण रास्तों पर अब तक बसें नहीं दौड़ पाईं। पूर्व में जिले के पांच नए रूटों पर रोडवेज की अनुबंधित बस सेवा चलाने की कागजी कार्रवाई भी शुरू की गई थी, लेकिन नतीजा शून्य निकला।
जागरण संवाददाता, मऊ : उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की ओर से ग्रामीण इलाकों और जटिल रास्तों पर भी रोडवेज बस चलाने का वादा जोर-शोर से किया गया था, लेकिन नई सरकार को बने एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया और ग्रामीण रास्तों पर अब तक बसें नहीं दौड़ पाईं। पूर्व में जिले के पांच नए रूटों पर रोडवेज की अनुबंधित बस सेवा चलाने की कागजी कार्रवाई भी शुरू की गई थी, लेकिन नतीजा शून्य निकला।
जनपद के बहुत से ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां से जिला मुख्यालय को अभी भी रोडवेज की बस सेवा से नहीं जोड़ा जा सका है। इसके चलते जिला मुख्यालय आने में जहां लोगों को निजी बस संचालकों के शोषण का शिकार होना पड़ता है, वहीं निजी क्षेत्र की सेवाएं कम होने से लोगों का समय भी अधिक लगता है। आम जन की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए परिवहन निगम की ओर से पांच नये रूटों पर बसें चलाने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। तत्कालीन एआरएम विवेकानंद त्रिपाठी ने सभी रूटों को चिह्नित करते हुए अनुबंधित बसें चलाने की तैयारी की थी। इससे लोगों में जल्द बस चलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। इससे जगह-जगह सरकारी बसें चलाने की मांग ग्रामीण क्षेत्रों में मुखर होने लगी हैं। इनसेट --
इन रूटों को है रोडवेज की बसों का इंतजार
1- मऊ-खुरहट-कोइरियापार-बोझी-पूनापार
2- मऊ-घोसी-सुल्तानपुर-सूरजपुर
3- बेलौली-मऊ वाया मर्यादपुर, इब्राहिमपट्टी, चकरा-पहसा
4- मऊ-जहानागंज वाया पलिया, करहां, लग्गूपुर
5- मऊ-पहसा-ढैंचा सिधागरघाट, रसड़ा, चिलकहर गढ़वार बलिया वर्जन ..
विभागीय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। मानव संसाधन की कमी के चलते कुछ रूटों पर अभी बसें नियमित नहीं हो पा रही हैं। जल्द ही सभी रूटों पर बसें चलने लगेंगी।
- आरएल पाल, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, मऊ डिपो।