धान खरीद की राह में रिकवरी दर का पेच
जागरण संवाददाता घोसी (मऊ) किसानों के उत्पाद को सीधे क्रय कर शासन द्वारा घोषित समर्थन
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : किसानों के उत्पाद को सीधे क्रय कर शासन द्वारा घोषित समर्थन मूल्य के अनुसार त्वरित भुगतान का फरमान इस वर्ष महज फाइलों में ही कैद है। धान की कुटाई के बाद मिलने वाली चावल की मात्रा यानी रिकवरी दर को लेकर राइस मिल मालिक इस बार भी क्रय केंद्रों से धान की उठान में झिझक रहे हैं। इस कारण एक बार भरे गए बोरे खाली नहीं हो रहे हैं तो कुछ अन्य समस्याओं के चलते खरीद भी रफ्तार नहीं पकड़ सकी हैं।
बिचौलियों के शोषण से मुक्ति प्रदान कर सीधे धान की खरीद के लिए जिले में 56 क्रय केंद्रों के माध्यम से 50 हजार एमटी धान खरीदा जाना है। पंजीकृत किसानों का धान हर हाल में क्रय करने और 72 घंटे में भुगतान करने की घोषणा सुनने में अत्यंत कर्णप्रिय है। उधर हकीकत यह है कि धान क्रय केंद्रों पर धान की प्रजाति से लेकर नमी एवं गंदगी सहित अन्य इतने सवाल किए जाते हैं कि किसान दूरी बना लेता है। यदि सब कुछ सही है तो बोरे नहीं है। एक समस्या यह कि धान की तौल की तिथि क्रय केंद्र प्रभारी तय करता है। किसान अपनी सुविधा एवं फुर्सत के अनुसार धान नहीं बेच सकता है। इस वर्ष जिले में महज तीन राइस मिलें ही धान की कुटाई के लिए अनुबंधित हैं। 59 हजार एमटी धान की कुटाई मिलें भले ही कई माह में करें पर 67 फीसद रिकवरी (एक क्विंटल धान की कुटाई के बाद 67 किग्रा चावल) की अनिवार्यता के चलते क्रय केंर्दों से धान की उठान करने से झिझक रहे हैं। लाल छिलके वाली नाटी मंसूरी की रिकवरी दर सर्वाधिक होती है पर यह भी 64-65 फीसद से अधिक नहीं होती है। डंकल प्रजाति एवं सफेद छिलके वाली मंसूरी प्रजाति के धान के रिकवरी दर 55-62 फीसदी अधिकतम होती है। इस बार मिलर ऐसी प्रजाति की उठान करने को तैयार नहीं हैं। इसके चलते क्रय केंद्रों पर इनकी खरीद न के बराबर होती है। एक तरफ जिले में बोरों की कमी है तो दूसरी ओर तीन ही मिलों द्वारा कुटाई होने के कारण भरे बोरे खाली होने में समय लग रहा है। इसके चलते धान खरीद रफ्तार न पकड़ सकी है। सैंपलिग तो हुई पर क्रियान्वयन नहीं
इस माह के प्रारंभ में ही भारतीय खाद्य निगम एवं विपणन विभाग की टीम ने जिले में धान की हरेक प्रजाति की अपने सामने कुटाई कराया। प्राप्त चावल की मात्रा का वजन किया गया। किसी भी प्रजाति की रिकवरी दर 67 फीसद नहीं रही। टीम ने शासन को रिपोर्ट भी भेजी पर वास्तविक रिकवरी दर कब लागू होगी, भविष्य के गर्भ में है। तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के शासनकाल में धान खरीद योजना लागू की गई। तब से लेकर अब तक रिकवरी दर सवालों के घेरे में है।
धान की खबर में वर्जन डिप्टी आरएमओ
वर्जन..
भारतीय खाद्य निगम अपने मानक पर अड़ा है। रिकवरी दर एवं खंडित चावल के बाबत शासन को पत्र लिखा गया है। किसान तनिक धैर्य रखें। शीघ्र ही डंकल (हाइब्रिड) प्रजाति के धान की खरीद के बाबत शासन से दिशा निर्देश जारी होगा।
-वीके सिन्हा, डिप्टी आरएमओ, मऊ।