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मऊ से ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ शुरू हुई बगावत, सुभासपा में मुख्तार की एंट्री बनी पार्टी में टूट की वजह

उत्‍तर प्रदेश में सियासी ऊंट इस समय सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के उम्‍मीदों के विपरीत बैठता नजर आ रहा है। सत्‍ता से बगावत और सपा से नजदीकी के बाद अलगाव और अब पार्टी के भीतर बगावत के पीछे मुख्‍तार अंसारी की सक्रियता मानी जा रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 10 Sep 2022 12:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2022 12:24 PM (IST)
मऊ से ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ शुरू हुई बगावत, सुभासपा में मुख्तार की एंट्री बनी पार्टी में टूट की वजह
मऊ जिले में मुख्‍तार की सुभासपा में सक्रियता की वजह से पार्टी में टूट हो गई है।

मऊ, जागरण संवाददाता। सुभासपा में कुछ दिनों से चल रहे आंतरिक कलह का परिणाम अब सामने नजर आने लगा है। पार्टी से लगातार पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि संस्‍थापक पदाधिकारी भी टूट रहे हैं। बीस वर्ष पुराना दल सुभासपा अब दो फाड़ हो चला है। पार्टी का साथ लगातार छोड़ रहे कार्यकर्ता अब बागी हो चले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक हो रहे हैं। इस विवाद की जड़ में पार्टी के अंदरुनी हालात ही नहीं बल्कि सुभासपा प्रमुख का रवैया भी उनके सहयोगी जिम्‍मेदार मान रहे हैं। पार्टी में ओमप्रकाश राजभव के विरोध का सिलसिला लगातार जारी है।

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मऊ में विधानसभा चुनाव 2017 में माफिया मुख्तार अंसारी के विरुद्ध सुभासपा- भाजपा के प्रत्याशी महेंद्र राजभर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कटप्पा’ की संज्ञा भी दी थी। इस विधानसभा चुनाव में पहली बार भगवा और पीले झंडे ने माफिया को कड़ी टक्कर दी। लगभग आठ हजार मतों से सुभासपा के महेंद्र को काफी नजदीकी हार मिली थी। तबसे लगातार महेंद्र सदर विधानसभा सीट पर तैयारी कर रहे थे कि अचानक बीते विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।

पार्टी में होने के नाते महेंद्र दल के साथ तो लगे रहे पर मन में पार्टी में मुख्‍तार लाबी की सक्रियता की टीस बनी हुई थी। यही कारण रहा कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर ने ओमप्रकाश राजभर पर बड़ा आरोप लगाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ त्यागपत्र दे दिया। बस इसके बाद पार्टी छोड़ने का सिलसिला सा चल निकला। लगातार रोजाना पार्टी के पदाधिकारी त्याग पत्र दे रहे हैं। इससे 27 अक्टूबर 2002 को गठित दल में दो फाड़ हो गई। अब तक 113 पार्टी कार्यकर्ता इस्तीफा दे चुके हैं। इससे जहां पार्टी बैकफुट पर आ गई है तो आगामी नगरपालिका व पंचायतों के चुनाव में इसका दुरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।


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