रमजान माह में दिन रात अल्लाह की रहमत बरसती है
बरकत और रहमतों का महीना रमजान चल रहा है। इसको लेकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में उल्लास और उमंग का वातावरण है। मस्जिदों में नामाजियों की अधिक भीड़ उमड़ने लगी।
रमजानुल मुबारक..
-मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में उल्लास और उमंग का वातावरण
-इस्लाम की पांच बुनियादी फर्जों में रोजा भी है शामिल
जागरण संवाददाता, वलीदपुर (मऊ) : बरकत और रहमतों का महीना रमजान चल रहा है। इसको लेकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में उल्लास और उमंग का वातावरण है। मस्जिदों में नामाजियों की अधिक भीड़ उमड़ने लगी। रोजेदार बिन भूख, प्यास के अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। बड़े तो बड़े बच्चे भी उत्साह के साथ रोजा रखकर नमाज पढ़ रहे हैं।
मौलाना नफीस अहमद कासमी ने कहा कि इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रोजा रहने वाले की हर दुआ अल्लाह कूबूल करते हैं और रहमत व बरकत बरसाते हैं। इस माह में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने के लिए भूखा रहकर रोजा रखता है। बदले में अल्लाह अपने बंदे को बेहद करीब आकर अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है। इसलिए हर मुसलमान को रोजा रखना फर्ज है। रमजान माह हर इंसान को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देता है। रोजा रखने वाला तमाम गलत कार्यों से दूर हो जाता है और अल्लाह के करीब पहुंचने का प्रयास करता है। अल्लाह भी बदनीयत से दूर रहने वाले बंदों पर रहमत करते हैं और बरकतों से नवाजते हैं। रमजान माह हर बंदे को बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक पहुंचने का मौका देता है।
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