हर ओर से बरसा रंग, सतरंगी हुई दिशाएं
जागरण संवाददाता, मऊ : 'चाहे भीगे तोरी चुनरिया, चाहे भींगे रे.., 'रंग बरसे भींगे चुनरवाली
जागरण संवाददाता, मऊ : 'चाहे भीगे तोरी चुनरिया, चाहे भींगे रे.., 'रंग बरसे भींगे चुनरवाली आदि गाने फिजां में गूंज रहे थे। फाग की मस्ती में मदमस्त युवा नाच रहे थे। हवा में उड़ते अबीर-गुलाल आसमान को सतरंगी बना रहे थे। युवाओं की टोली गली-मोहल्ले से ले कर खेतों की मेड़ों पर घूम रही थीं तो हर घर-आंगन में उल्लास छलक रहा था। इतने रंग-अबीर, गुलाल उड़े कि आसमान सतरंगी हो उठा। यह दृश्य होली पर शुक्रवार को पूरे जिले में आम था।
होली पर पिचकारी के प्रेम की रंगीन धारा फूट रही थी। लोग बैर भाव भूल एक दूजे के गले मिल रहे थे। मिठास भरी गुझिया, मालपुआ, रसगुल्ले, रसमलाई का स्वाद लोग ले रहे थे, तो दही बड़ा, पापड़, चिप्स आदि नमकीन व्यंजन भी लोगों की जिह्वा को रसास्वादन करा रहे थे। कोई भंग की तरंग में डूबा उतरा रहा था। इस माहौल में न कोई बड़ा था, न छोटा, न कोई अगड़ा-न पिछड़ा, न दलित, न सपाई, न बसपाई, न भाजपाई, न कांग्रेस आई। चहुंओर समता, ममता, समरसता का ज्वार बह रहा था। युवा हों या वृद्ध, सबने जमकर अपने उल्लास का प्रदर्शन किया। होली के पहले गुरुवार को होलिका के साथ ही हुरियारे टोलियां बना, एक दूजे को रंगों से भिगोने में जुट गए थे। रात में होलिका दहन के बाद देर रात तक गांवों की चौपालों में फाग के परंपरागत राग की स्वरलहरियां गूंजती रहीं तो लोग मस्ती में जोगीरा गाते, नाचते, गांव के प्रत्येक घर के सामने त्योहार की मस्ती लुटा रहे थे। दोपहर बाद नहा-धोकर, नए कपड़े पहन, हाथ में अबीर की झोली लिए फिर सब निकल पड़े। गांव-मुहल्ले में सबके घर जाकर एक-दूसरे को तिलक लगाया और गले मिले। बड़े-बूढ़ों का चरण-स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और तरह-तरह के व्यंजनों की दावत उड़ाई। अनेक स्थानों पर होली मिलन समारोहों का भी आयोजन किया गया। नगर की गलियों में पुलिस व पीएसी के जवान तैनात किए गए थे। नगर में होली का परंपरागत जुलूस राजाराम पुरा होते हुए बाजे-गाजे के साथ निकला जो बाद में डोमनपुरा से सदर चौक तक जुलूस गया। अबीर गुलाल व रंगों से होली खेलते हुए नाचते-गाते पहुंचे वहां लोगों ने भगवाध्वज को प्रणाम कर संघ की प्रार्थना किया। सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवान भी साथ-साथ चल रहे थे।