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बारिश ने तोड़ी ईंट-भट्ठा कारोबार की कमर

कोरोना में मंदी की मार झेल रहे ईंट कारोबारियों पर मई माह में

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 04:38 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 04:38 PM (IST)
बारिश ने तोड़ी ईंट-भट्ठा कारोबार की कमर
बारिश ने तोड़ी ईंट-भट्ठा कारोबार की कमर

जागरण संवाददाता, मऊ : कोरोना में मंदी की मार झेल रहे ईंट कारोबारियों पर मई माह में असमय बारिश कहर बनकर टूट पड़ी है। इससे ईंट कारोबारियों को करोड़ों की जहां क्षति हुई है, वहीं मजदूरों का भी काफी नुकसान हुआ है। कोरोना काल में ईंट-भट्ठों से चल रही इनकी मजदूरी पर भी ब्रेक लग गया। इससे ईंट का दाम जहां अधिक बढ़ेगा, वहीं मकान बनवाना भी आसान नहीं रह जाएगा। इसे लेकर ईंट कारोबारियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। अभी पिछले माह प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान के क्रम में ईंट-भट्ठा मालिकों ने लाखों रुपये की रायल्टी जमा कर भट्ठों का संचालन शुरू किया था। ऐसे में अब उनको दोहरी मार पड़ी है।

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जनपद में कुल 351 ईंट-भट्ठे संचालित हैं। इसमें घोसी तहसील में 77, मधुबन में 66, सदर में 127 व मुहम्मदाबाद गोहना में 81 शामिल हैं। इसमें से घोसी में अब तक आठ भट्ठे, सदर में चार व मुहम्मदाबाद गोहना में आठ भट्ठे मंदी की मार से बंद हो चुके हैं। सभी ने अप्रैल में प्रशासन के कड़े रुख के बाद अपनी कई साल की लाखों रुपये बकाया रायल्टी जमा कर दी थी। इसके बाद अपने कारोबार को युद्धस्तर पर अंजाम दे रहे थे। ईंट की पथाई करके बारिश से पहले अधिक से अधिक ईंट संरक्षित करने की कोशिश में लगे थे कि बुधवार से शुरू हुई बिना मौसम की बारिश ने उनके सारे किए पर पानी फेर दिया। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण के बीच जून-जुलाई में जबरदस्त बारिश के चलते ईंट-भट्ठा कारोबारियों का काफी नुकसान हुआ था। अभी पिछले वर्ष की भरपाई नहीं हो पाई थी कि इस वर्ष भी बारिश ने उनके करोड़ों के कारोबार को चौपट कर दिया। उनकी लाट लगाकर लगाई गईं ईंटें भीगकर नष्ट हो गईं। बारिश ने अरमानों पर फेरा पानी

बंद ईंट भट्ठा संचालकों का कहना है कि कोरोना की वजह से उनका कारोबार थम गया था। कोई भी कार्य नहीं हुआ। पिछले साल लॉकडाउन में ढील के बाद काम शुरू हुआ तो जून व जुलाई माह में हुई जबरदस्त बारिश की वजह से उनके पाथे गए ईंट गल गए। इसकी वजह से बचे खुचे उनके अरमानों पर जहां पानी फिर गया, वहीं उनकी लाखों की संपत्ति पानी में बह गई। इससे उनकी कमर टूट गई। ऐसे में वह इतना ज्यादा कर्जदार हो गए हैं। अब फिर मई माह में पानी ने उनके बचे खुचे अरमानों पर पानी फेर दिया। प्रकृति के कहर को रोका नहीं जा सकता है। ईंट-भट्ठों के अलावा तमाम अन्य समस्याएं भी बारिश से उत्पन्न हुई हैं। फिलहाल नुकसान की भरपाई करना संभव नहीं है। यह जरूर है कि मजदूरों का भुगतान जरूर किया जाए।

--केहरी सिंह, अपर जिलाधिकारी।


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