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पं. दयाशंकर के कविताओं में है माटी की खुशबू

पं. दयाशंकर तिवारी के रचनाओं में अपने मांटी की खुशबू होती है। उनकी रचनाएं किसी ना किसी तत्कालिक समस्याओं, मौसम व समय के बदलाव पर चोट करती हुई होती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 05:24 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 05:24 PM (IST)
पं. दयाशंकर के कविताओं में है माटी की खुशबू
पं. दयाशंकर के कविताओं में है माटी की खुशबू

जासं, मऊ : पं. दयाशंकर तिवारी के रचनाओं में अपने मांटी की खुशबू होती है। उनकी रचनाएं किसी ना किसी तत्कालिक समस्याओं, मौसम व समय के बदलाव पर चोट करती हुई होती है। पंडित जी की सोच इनके कविताओं में झलकती है। यह लोगों को प्रेरणा देने वाली होती है। यह बातें डा. एसएन खत्री ने कही। वे नगर के तत्वबोध हाईस्कूल में ¨हदी साहित्य परिषद मऊ के तत्वावधान में विक्रम शिला विश्वविद्यालय भागलपुर बिहार द्वारा विद्या वाचस्पति उपाधि से नवाजे गए जनपद के वरिष्ठ कवि पंडित दयाशंकर तिवारी एवं मतीन के सम्मान में आयोजित समारोह में सम्मानित करने के उपरांत लोगों से रू-ब-रू थे। डा. कैलाश नाथ चौबे उर्फ मधुर नजमी ने कहा कि पंडित दयाशंकर तिवारी के गीत संग्रह माटी के महक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन पूर्व में हुआ था। पंडित नर्वदेश्वर चतुर्वेदी, डा. विवेकी राय एवं डा. चक्रवर्ती जैसे साहित्य मनीषियों ने तिवारी जी की काव्य कला की सराहना करते हुए अपार संभावनाओं के रूप में रेखांकित किया था। इस दौरान डा. शतानंद उपाध्याय, रामनिवास राय, आलम बलियावी, ऋषिकेश पांडेय, रामजी उपाध्याय, मृत्युंजय तिवारी, कवियत्री मधु राय, डा. शकुंतला तिवारी आदि मौजूद थे। संचालन डा. कमलेश राय ने किया।

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