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मनरेगा से बना तालाब रेन वाटर हार्वेस्टिग में फेल

रानीपुर ब्लाक अंतर्गत स्थानीय गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में मनरेगा से बना तालाब व जलाशय रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम में फेल नजर आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 09:07 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2019 06:27 AM (IST)
मनरेगा से बना तालाब रेन वाटर हार्वेस्टिग में फेल
मनरेगा से बना तालाब रेन वाटर हार्वेस्टिग में फेल

जागरण संवाददाता, पलिगढ़ (मऊ) : रानीपुर ब्लाक अंतर्गत स्थानीय गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में मनरेगा से बना तालाब व जलाशय रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम में फेल नजर आ रहे हैं। उक्त योजना के तहत बने तकरीबन सभी तालाब ऐसे जगह बने हैं, जिसमें बरसात का पानी इधर-उधर से बहकर एकत्र नहीं हो सकता। कहीं-कहीं तो तालाब खोदाई के नाम पर केवल खानापूर्ति ही हुआ है। जो तालाब गामीण क्षेत्रों में पूर्वजों के जमाने का बना है जो नहाने धोने से लेकर खेतों की सिचाई के काम आता था, अब उस पर सरकार की निगाहें ऐसी मोटी हुईं कि अतिक्रमण के घेरे में आ गया। कोई पाटकर खेत-खलिहान बना लिया तो कोई मकान या घर के सहन के काम में ले लिया। जो कहीं बचा है उस पर भी अतिक्रमण जारी है। ऐसी स्थिति में किस विधि द्वारा इन तालाबों में पानी एकत्र होगा कि भूगर्भ जलस्तर बना रहे जिससे भविष्य में पेयजल का भी स्तर बना रहे।

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जलनिगम के अधिशासी अभियंता ने रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह तभी संभव है जब ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे जगह जलाशय बनाया जाय जहां बरसात का पानी चारों तरफ से बहकर उसमें एकत्र हो। यह जलाशय काफी बड़ा हो तथा इससे थोड़ी दूरी पर उक्त तालाब के चारों ओर कम से कम दो तालाब हों और उसमें भी वर्षा का पानी एकत्र हो तथा उसका संम्पर्क उक्त जलाशय से इस प्रकार हो कि पानी कम होने पर तालाब का पानी लिया जा सके। ऐसा करने के बाद एक पाइप लाइन खेतों तक दिया जाय जो बिजली न रहने पर जनरेटर से सिचाई का काम लिया जा सके। उन्होंने बताया कि यदि ऐसा होता है तो इससे भूगर्भ जल का स्तर बना रहने के कारण हैंडपंप से पेयजल की समस्या भी दूर होगी तथा जगह-जगह विभाग द्वारा इंडिया मार्का टू हैंडपंप लगाने की भी आवश्यकता नहीं होगी।

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जनता भी दोषी

देखा जाय तो जनता भी कम दोषी नहीं है। वह भी घरेलू कार्यो से लेकर मकान बनाने तक जैसे आदि कार्यो मे जितना पानी खर्च नहीं होता उससे कई गुना ज्यादा पानी की बर्बादी करता है। पर्यावरण को संजीदा बनाने व मानसून के अनुकूल रखने हेतु वृक्षारोपण न करके बाबा दादा व पूर्वजों के हाथों लगाए वृक्षों की केवल कटाई ही कर रहा है।


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