डीजल चालित आटो हटने से नगर में घटा प्रदूषण
नगरीय क्षेत्रों में बीते दो वर्ष में ई रिक्शा की आई बाढ़ ने रिक्शा एवं आटो रिक्शा को भले ही प्रचलन से बाहर कर दिया है या इनकी बढ़ती संख्या के बीच सड़क पर आड़े तिरछे खड़े होने के आरोपों के बीच नगर में ध्वनि एवं वायु प्रदूषण दोनों का ही स्तर घटा है।
जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : नगरीय क्षेत्रों में बीते दो वर्ष में ई रिक्शा की आई बाढ़ ने रिक्शा एवं आटो रिक्शा को प्रचलन से लगभग बाहर कर दिया है। नगर में ध्वनि एवं वायु प्रदूषण दोनों का ही स्तर घटा है।
दो वर्ष पूर्व तक नगर के आंतरिक भाग में आवागमन का दारोमदार रिक्शा और आटो रिक्शा पर टिका था। रिक्शा चालक मुंहमांगी किराया वसूलते थे। उधर डीजल चालित आटो चालक मुख्य मार्ग से हटकर गली में जाने के लिए अधिक किराया लेते थे। इससे इतर इनके इंजन से निकलता शोर पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण फैलाता था। साइलेंसर से निकलते धुंआ में कार्बन डाई आक्साइड एवं मोनो आक्साइड होने के चलते वायु प्रदूषण बढ़ गया था। इससे इतर इनके संचालन से ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी रही। अब जबकि केंद्र एवं प्रदेश सरकार प्रदूषण की मात्रा नियंत्रित करने को सीएनजी एवं बैटरी चालित वाहनों को उतार रही है, स्थानीय नगर में चलने वाले लगभग पांच सौ बैटरी रिक्शा शासन कर मंशा को इच्छित मुकाम दे रहे हैं। इससे इतर मझवारा मोड़ से पकड़ी मोड़, पकड़ी मोड़ से पकड़ी गांव, रोडवेज से मानिकपुर असना एवं मझवारा मोड़ से भावनपुर एवं दादनपुर के बीच बैटरी से चलने वाले रिक्शा शटल सेवा प्रदान कर रहे हैं। न सवारी का इंतजार न अधिक किराया की समस्या। आकार छोटा होने के चलते संकरी गलियों तक इनकी पहुंच है। सामान ढोने से लेकर सवारी को गंतव्य तक पहुंचने में भी इनका जवाब नहीं है। इनकी बढ़ती संख्या के चलते अब डीजल चालित आटो रिक्शा लंबी दूरी के मार्गों पर चल रहे हैं। पुलिस एवं परिवहन विभाग नाबालिग चालकों पर नियंत्रण कर ले तो निश्चित ही आने वाले दिनों में नगर को प्रदूषण मुक्त करने में इनका अहम सहयोग होगा।