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पुलिस ने शरीफ युवक को बना दिया गुंडा

देश की रक्षा के लिए जवान तो आमजन की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात है परंतु आमजन देश के वीर जवानों पर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा होता है तो वहीं पुलिस आमजन से आज तक नहीं जुड़ पाई। हमेशा सुर्खियां बटोरती पुलिस की कारस्तानी का एक उदाहरण मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में भी प्रकाश में आया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 08:08 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 08:08 PM (IST)
पुलिस ने शरीफ युवक को बना दिया गुंडा
पुलिस ने शरीफ युवक को बना दिया गुंडा

जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) : हमेशा सुर्खियां बटोरती पुलिस की कारस्तानी का एक उदाहरण स्थानीय कोतवाली क्षेत्र में भी प्रकाश में आया। जहां एक शरीफ युवक को पुलिस ने गुंडा बना डाला। पीड़ित ने जब जिला मजिस्ट्रेट से गुहार लगाई तो न्याय मिला। जिला मजिस्ट्रेट ने युवक पर की गई गुंडा एक्ट की कार्रवाई को हटाने के निर्देश दिए हैं तो वहीं इस प्रकरण में प्रभारी निरीक्षक की भूमिका को संदिग्ध देखते हुए पुलिस अधीक्षक को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली क्षेत्र के माहपुर गांव निवासी मटरू उर्फ रवींद्र यादव मेहनत करके परिवार का जीवन यापन करता है।  05 अप्रैल 2018 को उसे गुंडा नियंत्रण अधिनियम का नोटिस मिला। नोटिस देखकर युवक के होश उड़ गए। उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आपत्ति दाखिल की। अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि इस युवक पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई सरासर गलत है। इसने आज तक ऐसा कोई काम नहीं किया है। जिससे जनता में भय पैदा हो या शांति व्यवस्था भंग हो। यह मेहनत मजदूरी करके अपनी रोजी-रोटी चलाता हैं। इनका गांव के ही एक पक्ष से विवाद चल रहा है। उसी पक्ष ने इनके खिलाफ मारपीट का झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। अधिवक्ता ने दलील दी कि यह युवक शरीफ है और समाज में मिल-जुलकर रहता है। इसके खिलाफ न तो अवैध कब्जा करने और न ही किसी महिला पर अभद्र टिप्पणी करने जैसे आरोप हैं। किसी आपराधिक मुकदमे में उसे सजा भी नहीं हुई है। यह गुंडा की श्रेणी में नहीं आता। अधिवक्ता ने यह भी बताया कि विपक्षी द्वारा शासकीय धन के दुरुपयोग को रोकने हेतु बार-बार प्रयास किया गया। इससे विपक्षियों के द्वारा साजिश से मटरू उर्फ रवींद्र यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।  जिला मजिस्ट्रेट ने अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद माना कि इसका कोई पुराना आपराधिक इतिहास नहीं है। केवल एक साजिश के तहत युवक को फंसाया गया है। जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले में प्रभारी निरीक्षक की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए पुलिस अधीक्षक को प्रभारी निरीक्षक पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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