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पीएम के दूत खंगालेंगे स्वच्छता की हकीकत

जागरण संवाददाता, मऊ : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में मात्र शौचालय निर्माण ही काफी नहीं। इसके ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 05:36 PM (IST)
पीएम के दूत खंगालेंगे स्वच्छता की हकीकत
पीएम के दूत खंगालेंगे स्वच्छता की हकीकत

जागरण संवाददाता, मऊ : नगर सहित ग्रामीण क्षेत्र में मात्र शौचालय निर्माण ही काफी नहीं। इसके लिए बकायदा केंद्र सरकार की एजेंसी क्यूसीआइ यानि क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया अभियान की हकीकत खंगालेगी। जमीनी हकीकत की विधिवत रिपोर्ट बनाने के बाद क्यूसीआइ की लगी मोहर के बाद ही ओडीएफ माना जाएगा।

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जनपद को महात्मा गांधी जयंती दो अक्टूबर तक खुले में शौच मुक्त यानि ओडीएफ कर देना है। इसके लिए जिला प्रशासन ने 30 सितंबर की डेटलाइन तय की है। इसके पूर्व ही जनपद को ओडीएफ सिद्ध कर दिया जाएगा। इसके लिए क्यूसीआइ जनपदों में जाकर ओडीएफ की हकीकत से रू-ब-रू होगी। एजेंसी सीधे गांवों व मुहल्लों में जाकर निर्मित शौचालयों की जहां गुणवत्ता जांचेगी, वहीं स्थानीय लोगों से स्वच्छता के प्रति फीडबैक भी लेगी। इसके साथ ही ग्रामीण बाजार, सार्वजनिक स्थलों, नालियों, गलियों आदि की साफ-सफाई का भी जायजा लेगी। कमेटी स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालयों, साफ-सफाई का ब्यौरा इकट्ठा कर केंद्र सरकार को सौंपेगी। इसके बाद सरकार से मिली अनुमति के बाद ही ओडीएफ माना जाएगा। सेफ्टी टैंक निर्मित शौचालय बनेंगे बाधा

अभियान की शुरुआत में धड़ाधड़ सेफ्टी टैंक वाले शौचालय का निर्माण कराया गया है। बाद में शासन के निर्देशों के बाद प्रशासन ने ऐसे शौचालयों पर बैन लगा दिया। इस दौरान लगभग 10 हजार शौचालय निर्मित हो चुके थे। बाद में प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए ऐसे लाभार्थियों की द्वितीय किश्त पर रोक लगा दिया था। माना गया कि ऐसे शौचालयों से निकलने वाली गैस जहरीली होती है जो पर्यावरण को प्रभावित करती है। साथ ही काफी गहरे ये टैंक भूगर्भ जल को भी प्रदूषित करते हैं। छूटे परिवारों को भी मिलेगा मौका

ओडीएफ अभियान के तहत गांवों में लगभग प्रत्येक परिवार में शौचालय बनाए जा रहे हैं। इसके तहत किए गए रैपिड सर्वे में भी कई गड़बड़ियां पाई गई हैं। कई-कई लाभार्थियों के नाम दो-दो बार सूची में हैं। इससे बहुतेरे लाभार्थियों को योजना से वंचित होना पड़ा। अब ओडीएफ अभियान बीत जाने के बाद अक्टूबर 2012 से 2018 के बीच बढ़े परिवार व छूटे परिवारों को सूचीबद्ध किया जाएगा।


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