संडा विधि से 18-25 दिन में कर दें रोपाई
गत कई वर्षों से जिले के किसानों में संडा विधि से रोपाई करने का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस विधि में बीज की दो बार रोपाई करनी पड़ती है। मजदूरी मंहगी होने के साथ इस संडा की फसल से प्रक्षेत्र की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता है।
जागरण संवाददाता, मऊ : गत कई वर्षों से जिले के किसानों में संडा विधि से रोपाई करने का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस विधि में बीज की दो बार रोपाई करनी पड़ती है। मजदूरी मंहगी होने के साथ इस संडा की फसल से प्रक्षेत्र की उर्वरा शक्ति का ह्रास होता है। इस विधि से रोपाई करने वाले किसान बीज डालने के 18 दिन बाद पहली व उसके 25 दिन बाद दूसरी रोपाई अवश्य करा देना चाहिए। यह कहना है जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार का।
वे बताते हैं कि रोपाई में विलंब करने की दशा में उत्पादन घटने की संभावना बढ़ जाती है। रोपाई की श्री विधि के बारे में श्री कुमार ने बताया कि बीज डालने के 10 से 12 दिन के उपरांत एक-एक दाना की घनी रोपाई करना चाहिए। श्री विधि से लगाए जाने वाले खेत में गोबर की प्रचुर मात्रा का प्रयोग होना चाहिए। जड़ों में विकास के लिए गोबर का सबसे बड़ा हाथ होता है। श्री विधि से रोपे जाने वाले खेत में खरपतवार प्रबंधन का पूर्व में प्रबंधन करने के साथ रोपाई के बाद भी घास नियंत्रण की दवा का छिड़काव करना जरूरी है।
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