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स्वास्थ्य केंद्र पर पगडंडियों से होकर जाते हैं मरीज

सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सच है कि पिछले दो दशक से नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुबारी एक अदद मार्ग को तरस रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 08:28 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 08:28 PM (IST)
स्वास्थ्य केंद्र पर पगडंडियों से होकर जाते हैं मरीज
स्वास्थ्य केंद्र पर पगडंडियों से होकर जाते हैं मरीज

जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सच है कि पिछले दो दशक से नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुबारी एक अदद मार्ग को तरस रहा है। चारों तरफ से खेतों से घिरे इस अस्पताल को एक रास्ता तक उपलब्ध नहीं हो सका है। आज भी मरीज खेत की पगडंडियों से होकर अस्पताल तक पहुंचते हैं। यहां तक कि किसी इमरजेंसी में चार पहिया वाहन से लाए गए मरीज को अस्पताल से करीब 300 मीटर दूर दुबारी-परसिया-जयरामगीरी मार्ग पर वाहन खड़ी कर कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है। कारण अस्पताल तक पहुंचने का कोई मार्ग ही नहीं है। पैदल या दो पहिया वाहन से तो किसी प्रकार अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है मगर चार पहिया वाहन के के लिए कोई मार्ग ही नहीं है।

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यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि दो दशक पुरानी है। फिर भी आज तक इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढा जा सका। क्षेत्र के मनोज गोंड, सुभाष गोंड, धर्मेंद्र गोस्वामी, सुनील मौर्य, गोल्डन बाबू, राजेश गुप्त ने बताया कि अस्पताल बनने से अब तक तीन ग्राम प्रधानों ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन किसी ने भी इस समस्या के समाधान की दिशा में कोई रूचि नहीं दिखाई। ग्रामीणों की मानें तो चकबंदी द्वारा भूमि की पैमाईश करा कर रास्ते के लिए जमीन उपलब्ध हो सकती है। सरकार अस्पताल के आसपास के भूमि स्वामी को उनकी भूमि का उचित मुआवजा देकर भी रास्ते के लिए जमीन ले सकती है लेकिन कोई पहल हो तब तो बात बने। अस्पताल प्रशासन की मानें तो इसके लिए कई बार जिलाधिकारी से लेकर प्रदेश स्तर तक फरियाद लगाया जा चुका है, लेकिन नतीजा अब तक शून्य है। अस्पताल पर तैनात फार्मासिस्ट संतोष कुमार ने बताया कि दो साल पूर्व दैनिक जागरण में इस समस्या के प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद स्थानीय प्रशासन नींद से जागा था। उपजिलाधिकारी की अगुवाई में राजस्व की टीम द्वारा जगह का मुआयना किया गया था। भूमि की पैमाइश भी हुई और ऐसा लगा कि अब जल्द ही अस्पताल को एक रास्ता मिल जाएगा, लेकिन कुछ दिन की कवायद के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया और मरीज आज भी खेत की पगडंडियों से गुजर कर अस्पताल पहुंचते हैं। बारिश के दिनों में तो यहां पहुंचना एक चुनौती बन जाता है।


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