रात में चालक के पास बैठेंगे परिचालक
रोडवेज बस से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निगम ने पूरी तरह से कमर कस लिया है। ऐसे में सभी डिपो के चालकों के पास रात दो बजे से पांच बजे सुबह तक परिचालकों को बैठने का निर्देश जारी कर दिया गया है। ताकि बस चालकों को नींद न आ सके और दुर्घटनाओं से बचा जा सके। प्रबंध निदेशक के इस फरमान का हर हाल में पालन करने का निर्देश दिया गया है। यही नहीं अब 75 किमी प्रति घंटा की स्पीड से अधिक बस चलाने वाले चालकों को नियंत्रण में चलाने के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस लगाई जा रही है। नई बसों में यह पहले से ही लगकर आ रहा है लेकिन वर्ष 2016-17 मॉडल की बसों पर इसे लगाया जा रहा है। इसी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जयप्रकाश निषाद, मऊ
रोडवेज बस से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निगम ने पूरी तरह से कमर कस लिया है। ऐसे में सभी डिपो के चालकों के पास रात दो बजे से पांच बजे सुबह तक परिचालकों को बैठने का निर्देश जारी कर दिया गया है। ताकि बस चालकों को नींद न आ सके और दुर्घटनाओं से बचा जा सके। प्रबंध निदेशक के इस फरमान का हर हाल में पालन करने का निर्देश दिया गया है। यही नहीं अब 75 किमी प्रति घंटा की स्पीड से अधिक बस चलाने वाले चालकों को नियंत्रण में चलाने के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस लगाई जा रही है। नई बसों में यह पहले से ही लगकर आ रहा है लेकिन वर्ष 2016-17 मॉडल की बसों पर इसे लगाया जा रहा है। इसी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अक्सर देखा जाता है कि रोडवेज बसों से दुर्घटनाएं सुबह व रात में होती है। बहुत कम ऐसे अवसर होते हैं जब रोडवेज बस से दुर्घटनाएं दिन में होती हों। इसके लिए बकायदा रोडवेज चालकों को रह-रह कर ट्रेनिग भी दी जाती है। लखनऊ-फैजाबाद मार्ग पर कई ऐसी दुर्घटनाएं हुईं जिससे सभी की रूह कांप उठी थी। इसे देखते हुए प्रबंध निदेशक ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवायद करनी शुरू कर दी है। अब लंबी रूट की हर बसों पर दो ड्राइवरों की ड्यूटी लगाई जा रही है ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इसके बावजूद दुर्घटनाएं हो रही हैं। इससे निजात दिलाने के लिए अब हर बसों में एसएलडी (स्पीड लिमिट डिवाइस) लगाई जा रही है। अगर ड्राइवर 75 किमी प्रति घंटा की स्पीड से अधिक बस चलाता है तो अपने आप यह डिवाइस बस की गति धीमी कर देगा। इसके अलावा दो बजे से पांच बजे तक ड्राइवरों को अक्सर नींद आ जाती है। ऐसे में सभी परिचालकों को निर्देश जारी कर दिया गया है कि वह हर हाल में दो से पांच बजे के बीच अपने चालक के पास जाकर बैठेंगे और उनसे बातचीत करते रहेंगे। इसके अलावा रुक-रुक कर कुछ स्थितियों को बदलते भी रहेंगे।
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निगम के फरमान से सभी परिचालकों को अवगत करा दिया गया है। सभी परिचालक अपने-अपने अनुसार लांग रूट पर ड्राइवर के बगल में बैठेंगे ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। बिना सभी के सहयोग से दुर्घटनाओं से निजात पाना मुश्किल है।
-वीएन त्रिपाठी, एआरएम, मऊ।