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किसी ने नहीं लगाया आधा आबादी पर दांव

परतंत्र भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों का विरोध कर जेल जाने वाली महिलाओं की संख्या इस जिले में लगभग एक दर्जन है पर लोकसभा क्षेत्र घोसी का प्रतिनिधित्व करने में महिलाओं की संख्या शून्य है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 06:06 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 06:06 PM (IST)
किसी ने नहीं लगाया आधा आबादी पर दांव
किसी ने नहीं लगाया आधा आबादी पर दांव

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : परतंत्र भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों का विरोध कर जेल जाने वाली महिलाओं की संख्या इस जिले में लगभग एक दर्जन है पर लोकसभा क्षेत्र घोसी का प्रतिनिधित्व करने में महिलाओं की संख्या शून्य है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भासपा को छोड़ सभी दलों ने महिलाओं को टिकट देने से परहेज रखा तो कांग्रेस के प्रयोग को भी जनता ने नकार दिया। इस चुनाव में तीन प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर अपना कीर्तिमान दोहराया है। संभावना है कि इस बार भी लोकसभा की दहलीज को कोई महिला न लांघ सकेगी। विधानसभा चुनाव में भी कई महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं कितु विजय दूर ही रही।

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जिले में अब तक महिलाएं बड़ी पंचायत यानी जिला पंचायत से ऊपर न पहुंच सकी हैं। अब तक जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर गायत्री देवी, अंशा यादव के बाद काबिज होने वाली तीसरी महिला उर्मिला जायसवाल हैं। जिला पंचायत सदस्य एवं नगर पंचायत सदस्य से लेकर चेयरमैन, ग्राम पंचायत अध्यक्ष, बीडीसी एवं ब्लाक प्रमुख पद पर तमाम महिलाएं आसीन हो चुकी हैं। पर बात करें विधान सभा और लोकसभा की तो जिले की महिलाएं अभी तक वंचित ही रही हैं। लखनऊ और दिल्ली में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का इनका सपना अभी तक मूर्त रूप न ले सका है। हालांकि विधानसभा चुनावों में अब तक डा. सुधा राय, डा. सीता राय, डा. चंद्रलेखा राय, राना खातून, नीलम चौहान एवं निर्दल मीना देवी किस्मत आजमा चुकी हैं। इनमें डा. सुधा राय ही इकलौती महिला हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाया। कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 99, 2004 एवं 2009 में मैदान में उतारा। डा. राय का प्रदर्शन भी शानदार रहा पर दिल्ली तनिक दूर रह गई। बीते लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इस बार भी किसी राजनीतिक दल ने महिलाओं पर दांव लगाना उचित नहीं समझा है जबकि समीपवर्ती जिलों गाजीपुर, बलिया एवं आजमगढ़ से कई मंजू सिंह, अलका राय सीमा आजाद एवं शादाब फातिमा आदि विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं तो सत्तर के दशक में मोहसिना किदवई को आजमगढ़ के मतदाताओं ने दिल्ली का टिकट थमाया। इसके बाद तो आजमगढ़ के मतदाताओं ने कई महिलाओं को दिल्ली का टिकट थमाया।


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