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25 से नहीं खुलना चाहिए परिषदीय विद्यालय का ताला

पुरानी पेंशन को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ अब आर-पार की लड़ाई पर उतर आया है। इसी कड़ी में आगामी 25 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक तीन दिनों की महा हड़ताल की घोषणा की है। रविवार को नगर के शिक्षक सदन भीटी के सभाकक्ष में बैठक कर इसकी सफलता की रणनीति बनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 06:45 PM (IST)
25 से नहीं खुलना चाहिए परिषदीय विद्यालय का ताला
25 से नहीं खुलना चाहिए परिषदीय विद्यालय का ताला

जागरण संवाददाता, मऊ : पुरानी पेंशन को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ अब आर-पार की लड़ाई पर उतर आया है। इसी कड़ी में आगामी 25 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक तीन दिनों की महा हड़ताल की घोषणा की है। रविवार को नगर के शिक्षक सदन भीटी के सभाकक्ष में बैठक कर इसकी सफलता की रणनीति बनाई गई। इसकी अध्यक्षता करते हुए पुरानी पेंशन बहाली मंच के जिलाध्यक्ष कृष्णानंद राय ने आह्वान किया कि इन तीन दिनों में किसी भी परिषदीय विद्यालय का ताला खुलना नहीं चाहिए।

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उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक शिक्षक किसी भी सरकारी कार्यक्रम में सहयोग नहीं करेंगे। कोई भी शिक्षक किसी भी अधिकारी से किसी भी प्रकार का आदेश/निर्देश न तो प्राप्त करेंगे और न ही उनसे कोई बातचीत ही करेंगे। न्याय पंचायत स्तर एवं विकास खंड स्तर पर टोलियों का गठन कर हड़ताल की निगरानी की जाएगी। किसी से किसी भी प्रकार का झगड़ा विवाद नहीं करेंगे। 24 अक्टूबर को दिन में 12.00 बजे शिक्षक सदन भीटी से मोटर साइकिल रैली निकाल कर कार्यालयों एवं विद्यालयों में जनजागरण किया जाएगा। 25 व 26 अक्टूबर को तहसील स्तर पर सभाएं एवं कार्यक्रम होंगे। 27 अक्टूबर को जनपद मुख्यालय पर सभा कर जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन दिया जाएगा। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि पुरानी पेंशन हमारे बुढ़ापे की लाठी है, इसे सरकार को देना ही होगा। नई पेंशन योजना के अंतर्गत बुढ़ापा काटना असंभव है। यदि सरकार एनपीएस को इतना ही अच्छा मान रही है तो वह अपने विधायकों, सांसदों एवं मंत्रियों पर इसे लागू करे। इसके बाद कर्मचारियों, शिक्षकों पर दबाव बनाए। अबकी बार कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के बैनर तले आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बना चुका है। संघर्ष आर-पार का होगा और पुरानी पेंशन हम लेकर ही रहेंगे। मुख्य रूप से अखिलेश्वर शुक्ल, प्रवीण राय, रामप्रभाव ¨सह, ओमप्रकाश शुक्ला, सुभाष ¨सह, मनीराम, सिद्धनाथ प्रसाद, रामकेर यादव, घनश्याम यादव, जगमोहन ¨सह, राशिद जमाल, डॉ. शहनवाज, जगदीश गौतम, सुरेंद्र यादव, प्रवीण कुमार पाठक आदि ने अपने विचार रखे। अंत में राष्ट्रगान के साथ बैठक का समापन हुआ।


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