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करोड़ों के घोटालों पर बैठाई जांच पर नहीं खुली पोल

बीते वर्षों ग्रामीण विकास के लिए जिला पंचायत राज विभाग से संचालित चौथे राज्यवित्त, 14वें वित्त एवं निर्मल भारत अभियान में जमकर अनियमितता बरती गई। ग्राम पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों में करोड़ों की धनराशि उतार ली गई। ग्राम पंचायतों में अधिकतर रुपये सोलर लाइट मद में डकार लिए गए। यह भी नहीं कि इस मामले का संज्ञान प्रशासन को नहीं है। ऐसे मामले उजागर होने पर बकायदे खुद जिलाधिकारी ने ही जिला पंचायत कार्यालय को अपने सामने खंगलवाया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 04:14 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 04:14 PM (IST)
करोड़ों के घोटालों पर बैठाई जांच पर नहीं खुली पोल
करोड़ों के घोटालों पर बैठाई जांच पर नहीं खुली पोल

जागरण संवाददाता, मऊ : बीते वर्षों ग्रामीण विकास के लिए जिला पंचायत राज विभाग से संचालित चौथे राज्यवित्त, 14वें वित्त एवं निर्मल भारत अभियान में जमकर अनियमितता बरती गई। ग्राम पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों में करोड़ों की धनराशि उतार ली गई। ग्राम पंचायतों में अधिकतर रुपये सोलर लाइट मद में डकार लिए गए। यह भी नहीं कि इस मामले का संज्ञान प्रशासन को नहीं है। ऐसे मामले उजागर होने पर बकायदे खुद जिलाधिकारी ने ही जिला पंचायत कार्यालय को अपने सामने खंगलवाया था। इसमें कई गड़बड़ियां भी उजागर हुई थी। डीएम ने सभी कागजात भी तलब किए थे परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा के दौरान खुद जिलाधिकारी के समक्ष ऐसे मामले आए कि कई ग्राम पंचायतों में निर्मल भारत अभियान की लाखों की धनराशि उतार ली गई है परंतु धरातल पर शौचालय नहीं हैं। जिलाधिकारी इस पर विभाग को लताड़ लगाते हुए सभी गांवों की बैंक स्टेटमेंट तलब किए। विभाग द्वारा दर्जनों ग्राम पंचायतों को नोटिस भी जारी की गई परंतु ग्राम पंचायतों को नोटिस जारी होना मतलब सामान्य प्रकिया। कई माह बीतने के बाद भी केवल एक कार्रवाई बडरांव ब्लाक के सराय शादी में हुई। इसमें तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी पर मुकदमा दर्ज कराया गया। निर्मल भारत अभियान में अनियमितता का आलम यह है कि लगभग 250 ग्राम पंचायतें इसकी जद में हैं। इसी प्रकार ग्राम पंचायतों को दी जाने वाली केंद्र सरकार की 14वें वित्त व प्रदेश सरकार के राज्यवित्त तथा क्षेत्र पंचायतों में राज्यवित्त में भी करोड़ों का गोलमाल है। जिले में नेडा से सोलर लाइटों की खरीद न करके प्राइवेट फर्मों से जमकर खरीद की गई। न तो इसमें मानकों का ख्याल रखा गया और न हीं एमबी ही कराई गई। साल दर साल ग्राम व क्षेत्र पंचायतों में यह खेल चलता रहा। हालांकि जिलाधिकारी ने दोनों ही मामलों में संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। कई माह बीतने के बाद भी आज तक जांच शुरू ही नहीं हो सकी। इनसेट--

प्रशासन पर भारी दबंगों का काकस

ग्राम पंचायतों में शौचालय निर्माण के लिए पूर्व यूपीए सरकार के निर्मल भारत अभियान व राज्यवित्त व 14वें वित्त का खेल प्रतिवर्ष खेला गया। मामले भी उजागर हुए। प्रशासन की जांच भी बैठी परंतु परिस्थितियां वहीं जस की तस। दबंगों के आगे प्रशासन का कार्रवाई कुंद हो गई। बकायदे घोटालेबाजों की दुकान प्रतिवर्ष सजती रही। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब खुद जो मामले जिलाधिकारी के संज्ञान में हों और जांच के आदेश भी हो परंतु मामले रफा-दफा।


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