पीपापुल की देखभाल में लापरवाही बनी घटना का कारण
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : स्थानीय तहसील क्षेत्र के लोगों को देवरिया जनपद से जोड़ने में महत्
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : स्थानीय तहसील क्षेत्र के लोगों को देवरिया जनपद से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पीपा पुल देखभाल में की गई लापरवाही के चलते हादसे का सबब बन गया। इस पुल की देखरेख की सारी जिम्मेदारी देवरिया जनपद के लोक निर्माण विभाग के हाथों में है। क्षेत्र के देवारा में देवरिया जनपद के बरहज तहसील क्षेत्र से होकर गुजरने वाली घाघरा नदी पर दिसंबर माह से मई तक बनने वाला पीपा पुल दोनों जनपदों की सीमा को ही नहीं जोड़ता है बल्कि देवारा के लोगों को विकास की मुख्य धारा से भी जोड़ता है। यहां पहुंचने पर नदी इस देवारांचल को काटती हुई देवरिया जनपद की सीमा के बरहज तहसील क्षेत्र को भी उनके जनपद से अलग कर देती है। नदी की लहरों ने देवरिया के कुछ गांवों को काटकर इस पार कर दिया है तो कुछ स्थानीय जनपद के भी कुछ गांव इन इलाकों में उस पार हो गए हैं। पीपा पुल जहां बना है, वह क्षेत्र है तो इसी पार, पर पूरी तरह से देवरिया जनपद में। इस पार के लोगों को देवरिया जनपद से ही नहीं जोड़ता, बल्कि उनकी बाजार-हाट रोजी-रोटी भी इस पुल के सहारे बरहज क्षेत्र में होती है। बरहज को इन गांवों से जोड़ने के लिए घाघरा नदी पर प्रत्येक वर्ष पानी कम होने पर देवरिया प्रशासन द्वारा पीपा पुल का निर्माण कराया जाता है। इससे स्थानीय तहसील क्षेत्र के लोग भी लाभान्वित होते हैं।
डोमराज ने मांगा था पक्का पुल, अवमुक्त हुआ था बजट
समाजवादी पार्टी से सांसद रहे प्रखर समाजवादी नेता मोहन ¨सह का दाह-संस्कार बरहज घाट पर हुआ था। उसमें श्रद्धांजलि देने आए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ¨सह यादव से डोमराज ने आग देने के बदले देवारांचल के लोगों के आवागमन की समस्याओं को देखते हुए पक्के पुल की मांग रखी थी। जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए बजट भी अवमुक्त कर दिया था। राज्यसभा सदस्य मोहन ¨सह की सांसद पुत्री ने भूमिपूजन भी किया। इसके बाद निर्माण शुरू हुआ। इसी बीच विधानसभा चुनाव हुए और प्रदेश में बसपा की सरकार आ गई। पांच साल बाद फिर अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा सरकार प्रदेश में बनी तो जरूर, मगर इस पुल का भला न हो सका। आज तक निर्माण कार्य ठप ही पड़ा है। लोगों का कहना है कि काश, वह पुल बन गया होता तो आज यह हादसा न देखना पड़ता।