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एनबीआइएम दे रहा किसानों को त्वरित कंपोस्टिग प्रशिक्षण

कृषि अपशिष्ट अब समस्या नहीं हैं। पराली डंठल गांठ और पुआल किसानों को मालामाल भी कर सकते हैं। जनपद के कुशमौर स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने इनका समाधान खोज निकाला है

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 06:08 AM (IST)
एनबीआइएम दे रहा किसानों को त्वरित कंपोस्टिग प्रशिक्षण
एनबीआइएम दे रहा किसानों को त्वरित कंपोस्टिग प्रशिक्षण

जागरण संवाददाता, मऊ : कृषि अपशिष्ट अब समस्या नहीं हैं। पराली, डंठल, गांठ और पुआल किसानों को मालामाल भी कर सकते हैं। जनपद के कुशमौर स्थित राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो के वैज्ञानिकों ने इनका समाधान खोज निकाला है और अब खुद गांव-गांव पहुंचकर किसानों को इन अपशिष्टों से गुणवत्तायुक्त त्वरित कंपोस्ट बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस अभियान में मददगार बनी है केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित बायोटेक किसान परियोजना। परियोजना की प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक डा.रेनू ने अब तक जनपद के आधा दर्जन गांवों में किसानों को इस योजना से लाभान्वित कर चुकी हैं। यह अभियान अभी भी जारी है।

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डा.रेनू बताती हैं कि परियोजना के पूर्व प्रभारी ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डा.डीपी सिंह ने इस परियोजना के अंतर्गत त्वरित कृषि अवशेष कंपोस्टिग की एक ऐसी टेक्नोलोजी पर कार्य किया जिसके द्वारा भूसा, पुआल, खोइया, सब्जियों के छिलके, पत्तियों एवं अन्य फसलों के अपशिष्टों को 50 से 60 दिनों के भीतर ही पूर्ण रूप से बेहतरीन कंपोस्ट खाद में बदला जा सकता है। इन कृषि अपशिष्टों का प्रबंधन किसानों के हाथों में एक ऐसा उत्तम हथियार सिद्ध हो सकता है जिसके माध्यम से न केवल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है। बल्कि रासायनिक उर्वरकों और हानिकारक कृत्रिम रोग एवं कीटनाशी रसायनों पर निर्भरता भी कम की जा सकती है। डा. सिंह के स्थानांतरण के बाद डा.रेनू इस परियोजना का प्रभार संभाल रही हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के माध्यम ब्यूरो मऊ जनपद में ऐसी 50 कंपोस्टिग इकाइयां लगाने की योजना पर कार्य कर रहा है। अब तक जनपद के हरपुर, पिपरीडीह, ओन्हाइच, बड़ी रहजनियां, नई बस्ती, ताजपुर, गहना, हैदरपुर, अलीपुर, ताजोपुर, पनियरा, चोरपाखुर्द इत्यादि गांवों में 35 कंपोस्टिग यूनिट को स्थापित किया जा चुका है। साथ ही 400 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसी क्रम में बीते दिनों सरवनपुरा गांव के पांच किसानों रामदर्शन चौहान, रामनरायन चौहान, रंजीत चौहान, लालचंद चौहान एवं हरिश्चंद्र चौहान पांच-पांच कंपोस्टिग बैग की एक संपूर्ण यूनिट लगाई गई। इस मौके पर ब्यूरो के वैज्ञानिक एवं परियोजना के सह अन्वेष्क डा.मागेश्वरन, डा.समाधान बगुल के अलावा धनंजय ने किसानों को सूक्ष्मजीवों से बनी इस खाद की गुणवत्ता के बारे में बताया।


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