केंद्रीय टीम के रडार पर फतहपुर मंडाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को हल्के में लेना अब प्रशासन को भारी पड़ने लगा है। मिशन की हकीकत जानने पहुंची केंद्र सरकार की गठित एजेंसी क्यूसीआइ यानि क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया ने फतहपुर मंडाव ब्लाक में डेरा डाल दिया है।
जागरण संवाददाता, मधुबन (मऊ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को हल्के में लेना अब प्रशासन को भारी पड़ने लगा है। मिशन की हकीकत जानने पहुंची केंद्र सरकार की गठित एजेंसी क्यूसीआइ यानि क्वालिटी कंट्रोल आफ इंडिया ने फतहपुर मंडाव ब्लाक में डेरा डाल दिया है। तीन दिनों से लगातार विकास खंडों के गांवों का स्थलीय निरीक्षण टीम कर रही है। यह निरीक्षण व जांच इतनी गोपनीय है कि प्रशासन को भी इसका पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर टीम किस गांव में धमकेगी। तीन दिनों किए जा रहे निरीक्षण में कई गांवों को ओडीएफ किए जाने की पोल टीम के समक्ष खुल गई है। जहां अधिकतर शौचालय केवल स्वच्छ भारत मिशन के मानक के विपरित मिल रहे हैं तो ऐसे शौचालयों से आने वाले समय में पर्यावरण को और अधिक खतरा होने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। बहरहाल केंद्रीय टीम की गोपनीय जांच से जहां ग्राम पंचायतों में हड़कंप मचा है तो प्रशासन भी सकते में है।
केंद्रीय क्यूसीआई एजेंसी स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराए गए कार्यों व निर्मित शौचालयों की गुणवत्ता, पात्रता के साथ-साथ साफ-सफाई का जहां आंकलन कर रही है वहीं ग्रामीणों से स्वच्छता का फीड बैक भी ले रही है। इसमें कई गांव केंद्रीय टीम के मानक पर नहीं मिले। कई गांवों में हालात ऐसे रहे कि बड़ी संख्या में सेफ्टी टैंक वाले शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है, शायद इसी निर्माण के दम पर प्रशासन ऐसे गांवों को दो अक्टूबर से पूर्व ही ओडीएफ करने की ओर लगातार अग्रसर है। तीन दिनों में केंद्रीय टीम ने कुल नौ गांवों के फीडबैक तैयार कर लिए हैं। निरीक्षण में गांवों के मिले फीडबैक को लगातार केंद्र सरकार से भी साझा किया जा रहा है। जांच टीम द्वारा पूरी जांच को काफी गोपनीय तरीके से किया जा रहा है। न तो ग्राम पंचायत से कुछ लेना देना और न ही प्रशासन से ही। प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी केवल टीम को गांव दिखाने तक ही सीमित होकर रह गए हैं। तीन दिनों से लगातार गांवों की हकीकत देख रही टीम के चलते विकास खंड में अफरा-तफरी मची हुई है। अधिकारी से लेकर ग्राम पंचायतों से जुड़े कर्मचाररी जन प्रतिनिधियों को गाज गिरने का अंदेशा सता रहा है।
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इनसेट--
पुराने शौचालय लिखेंगे ओडीएफ की इबारत
जिला प्रशासन दो अक्टूबर के पूर्व ही एमआइएस के दम पर खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ के मूड में हैं। इसीलिए धड़ाधड़ सूची में शामिल लोगों के खाते में प्रथम किश्त की धनराशि भेजी जा रही है। इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता उजागर हो रही है। घरों में दशकों पूर्व के निजी खर्च से बने शौचालयों पर मिशन की धनराशि बड़े पैमाने पर उतारी जा रही है। इसकी ¨चता न तो प्रशासन को है और न ही ग्राम पंचायत को ही। इसमें खंड विकास कार्यालय से लगायत जिला पंचायत राज विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया जा रहा है। हालांकि इस बीच मिशन की हकीकत देखने आई क्यूसीआई टीम भी ऐसे मंसूबों से रुबरु हो गई है। इनसेट--
10 दिन शेष, कैसे होगा ओडीएफ
विकास खंड फतहपुर मंडाव की स्थिति यह है कि लगभग 40 फीसदी शौचालय अभी तक धरातल पर उतर पाए हैं। इसके बावजूद विकास खंड खुले में शौच मुक्त करने का मंसूबा पाले है। एक तो शौचालयों के निर्माण में व्यापक अनियमितता बरती जा रही है तो पर्यावरण से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। सेफ्टी टैंक से निर्मित शौचालय जहां पर्यावरण की ²ष्टि से हानिकारक साबित होंगे तो शौचालयों में ऐसी सीटें लगाई जा रही है जो दोयम दर्जे की हैं तथा जल संचयन के समय में अधिक पानी का उपयोग होगा।