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लाइसेंस न परमीशन, पूरे साल बिकते हैं पटाखे

कभी दीवाली के पर्व तक ही पटाखे फोड़ने की परपंरा अब खुशी अभिव्यक्त करने का शगल बन गया है। हर पर्व से लेकर चुनावी जीत एवं राजनीतिक उपलब्धि प्राप्त होने पर भी पटाखे फोड़ना आम बात हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 06:34 PM (IST)
लाइसेंस न परमीशन, पूरे साल बिकते हैं पटाखे
लाइसेंस न परमीशन, पूरे साल बिकते हैं पटाखे

जागरण संवाददाता, मऊ : कभी दीवाली के पर्व तक ही पटाखे फोड़ने की परपंरा अब खुशी अभिव्यक्त करने का शगल बन गया है। हर पर्व से लेकर चुनावी जीत एवं राजनीतिक उपलब्धि प्राप्त होने पर भी पटाखे फोड़ना आम बात हो गई है। पटाखों की वर्ष पर्यंत मांग होने से कारोबार बढ़ा है। यही कारण है कि बिना परमीशन और लाइसेंस के ही पूरे जिले में पटाखों का कारोबार धड़ल्ले से होता है। हाल यह कि परचून से लेकर पान की दुकान तक भी पटाखे बिकते हुए मिल जाते हैं। ऐसा नहीं है कि खतरों के इस कारोबार से पुलिस अनभिज्ञ है परंतु सुविधा की व्यवस्था के तहत सब चलता है। गनीमत यही है कि अभी तक जिले में पटाखों से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है।

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जिले में पटाखों के निर्माण के लिए महज चार लाइसेंस ही निर्गत हैं। एक चिरैयाकोट में, दूसरा कोपागंज, मधुबन व घोसी तहसील क्षेत्र में। चिरैयाकोट निवासी एक अन्य काफी पुराने और सबसे बड़े निर्माता का लाइसेंस उनके निधन के बाद से निष्क्रिय पड़ा हुआ है। निर्माण के अलावा उनके पास पटाखों की बिक्री का भी लाइसेंस है परंतु मानकों के निर्धारण के चलते कभी कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ है। हां, पटाखों के फुटकर और अवैध बिक्री के चलते पटाखों से छोटी-मोटी दुर्घटना में बच्चों और युवाओं ने अपनी अंगुलियां और आंख जरूर जला ली हैं। ये कारोबारी वाराणसी, भदोही और आंध्र प्रदेश से पटाखे लाकर जिले में बेंचते हैं। यह है नियम

पटाखा निर्मण एवं दुकान में भंडारण हेतु जिलाधिकारी द्वारा लाइसेंस निर्गत किया जाता है। यह लाइसेंस अग्नि शमन विभाग की अनुशंसा पर जारी होता है। अग्नि शमन विभाग निर्धारित मानक यथा आबादी से दूर भंडारण एवं सुरक्षा उपाय आदि की शर्त पूरी करने पर अनुशंसा जारी करता है। पटाखों के छुड़ाने संबंधी आदेश बस दीवाली तक ही मान्य

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : अब दीपावली पर्व पर भारी मात्रा में पटाखे फोड़े जाते हैं तो हर पर्व पर इनके प्रयोग की परंपरा चल निकली है। मांगलिक अवसर पर तेज आवाज के बड़े पटाखे छोड़े जाते हैं तो चुनावी जीत में चुनाव के स्तर पर फोड़े जाने वाले पटाखों की मात्रा निर्भर करती है। पूरे वर्ष इनकी मांग होने से अब स्थाई दुकानें भी खुल गई हैं। यह अलग बात है कि इनमें से किसी को भी अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं प्रशासन स्तर से स्वीकृति पत्र जारी नहीं किया गया है। अलबत्ता दीपावली पर्व के आगमन पर चंद दुकानदार अस्थाई स्वीकृति पत्र प्राप्त करते हैं पर अन्य पुलिस के रहमोकरम पर धड़ल्ले से कारोबार करते हैं। दीपावली के दिनों में प्रशासन भले ही खुले में आबादी से दूर एक स्थान पर पटाखे बेचे जाने का फरमान जारी करता है पर इसका क्रियान्वयन नहीं होता है।


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