Move to Jagran APP

एलडीबी ने खोला सौगातों का पिटारा

उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक ने इन दिनों सीमित अवधि के लिए पुराने बकाएदार काश्तकारों हेतु एकमुश्त समाधान योजना संचालित किया है। योजना के तहत पुराने बकाएदारों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 06:29 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:29 PM (IST)
एलडीबी ने खोला सौगातों का पिटारा
एलडीबी ने खोला सौगातों का पिटारा

जागरण संवाददाता, घोसी (मऊ) : उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक ने इन दिनों सीमित अवधि के लिए पुराने बकाएदार काश्तकारों हेतु एकमुश्त समाधान योजना संचालित किया है। योजना के तहत पुराने बकाएदारों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक श्रेणी के बकाएदार के लिए अलग-अलग सौगात दी जा रही है।

loksabha election banner

स्थानीय भूमि विकास बैंक शाखा के निरीक्षण के दौरान क्षेत्रीय प्रबंधक रामअवतार ने पुराने बकाएदारों के लिए संचालित योजनाओं का खुलासा किया। प्रथम श्रेणी में 01 अप्रैल 1997 से पूर्व के बकाएदारों को रखा गया है। ऐसे बकाएदारों से बैंक अवशेष मूलधन एवं मूलधन का दस फीसदी भाग ही ब्याज लेगा। ऐसे में किसान को भारी भरकम ब्याज एवं मूलधन के योग की बजाय मूलधन एवं उसके दस फीसदी के योग को ही जमा करना होगा। क्षेत्रीय प्रबंधक ने दूसरी श्रेणी में एक अप्रैल 97 से 31 मार्च 2007 के बीच ऋण प्राप्त करने वाले किसानों को रखे जाने की जानकारी दी है। इस श्रेणी के किसानों को योजना के तहत मूलधन एवं मूलधन के समतुल्य ब्याज एवं मूलधन का दस फीसदी भाग जमा करना होगा। जिन किसानों ने एक अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2012 के बीच ऋण लिया है और समस्त किश्तें 31 मार्च 2017 तक देय रहीं , को योजना के तहत सर्वाधिक लाभ मिलेगा। उन्होंने ऐसे किसानों को एकमुश्त बकाया राशि जमा करने पर ब्याज में 35 फीसदी की छूट दी जाएगी। स्थानीय शाखा प्रबंधक विजय्रांकर यादव, फील्ड आफिसर अखिलेश मणि त्रिपाठी एवं प्रेमचंद ने योजना को पुराने बकायेदारों के लिए वरदान बताया तो किसानों द्वारा इसका लाभ लेने हेतु संपर्क किए जाने का दावा किया है। बहरहाल क्षेत्रीय प्रबंधक रामअवतार ने बकायेदारों को अनावश्यक कार्रवाई से बचने हेतु योजना का लाभ उठाने की सलाह दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.