जल निगम बने शासकीय विभाग, प्रदर्शन
अधिशासी अभियंता के कार्यालय में धरना देकर कर्मचारियों ने भरी हुंकार - दो माह से पेंशन व वेतन भुगतान न होने से आक्रोश - प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन
जागरण संवाददाता, मऊ : उत्तर प्रदेश जल निगम संयुक्त समिति के बैनर तले लामबंद कर्मचारियों ने गुरुवार को अधिशासी अभियंता कार्यालय प्रांगण में धरना देकर प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने जहां दो माह से वेतन व पेंशन का भुगतान रोके जाने पर आक्रोश व्यक्त किया, वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री को सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भेजकर जल निगम को पूर्व की भांति शासकीय विभाग बनाए जाने के लिए हुंकार भरी।
जल निगम संयुक्त समिति के अध्यक्ष रामबचन राम ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की किसी समस्या का हल नहीं ढूंढ रही है। धरना, प्रदर्शन और आंदोलन करने पर केवल आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। समस्या के समाधान की बजाय कर्मचारियों का दो माह से वेतन व पेंशन भुगतान रोक दिया गया है। मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत नियुक्तियों को दिसंबर-2018 से ही रोक कर रखा गया है। सेवानिवृत तथा मृत कर्मचारियों के स्वीकृत जीपीएफ के भुगतान पर भी रोक लगाई गई है। इससे कर्मचारी परिवारों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। मंत्री धीरेंद्र कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों की समस्याओं का हल ढूंढने की बजाय अपनी पूरी ऊर्जा पूर्व से बनी व्यवस्था को उलटने-पलटने में ही कर रही है। इसे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से कर्मचारियों ने अपनी सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने कहा कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता है तो 17 दिसंबर को जिला मुख्यालय पर और 24 दिसंबर को प्रधान कार्यालय लखनऊ पर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। इस अवसर पर सेवक राम, राजकुमार पांडेय, आरके चौहान, संजय कुमार सिंह, उमेश गुप्ता, विपुल कुमार, कबूतरी देवी आदि उपस्थित थे।